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एस धम्मो सनंतनो
लेकिन तुम कह रहे हो कि 'इस कारण मेरे हृदय की वीणा टूट गयी।'
उसने तो छुई नहीं तुम्हारे हृदय की वीणा; टूट कैसे गयी? छूती, तो टूटती। तार-तार बिखेर देती।
अब तुम कहते हो कि 'लेकिन मेरी पीड़ा पर भी, जिससे मुझे प्रेम था, उसे दया न आयी।'
मुझे लगता है कि तुम्हें प्रेम और दया का भेद स्पष्ट नहीं है। दया आ जाती, तो प्रेम नहीं होने वाला था। दया प्रेम नहीं है। दया तो बड़ी बीमार चीज है; रुग्ण। दया में तो अपमान है। प्रेम में सम्मान है। ____ और यह भी हो सकता है कि तुमने दया मांगी हो, इसलिए प्रेम नहीं मिला। कोई भी स्वस्थ आदमी दया नहीं करना चाहता। क्योंकि दया का मतलब होता है : एक गलत संबंध बनता है। __एक मेरे परिचित थे। उन्हें एक विधवा पर बहुत दया आने लगी। विधवाओं पर कई लोगों को दया आती है! विधवाओं में कुछ खूबी होती है, जो सधवाओं में भी नहीं होती। वे कहने लगे कि मैं तो विधवा-विवाह करूंगा। मुझे विधवा पर बड़ी दया आती है। मैं तो समाज में क्रांति करूंगा।
मैंने उनसे कहा कि तुम ठीक से सोच लो। क्योंकि इससे अगर तुमने विवाह किया, तो फिर यह सधवा हो जाएगी! फिर विधवा रहेगी नहीं। फिर दया खतम हो जाएगी। फिर तो दया तुम्हें तभी आ सकती है, जब तुम मरो और इसको फिर विधवा करो! तुम्हें दया आ रही है विधवा पर। इतनी सधवाएं हैं, तुम्हें किसी पर दया नहीं आ रही है!
वे बड़े नाराज हो गए, क्योंकि वे बड़ी ऊंची बात लाए थे। सामाजिक क्रांति इत्यादि कर रहे थे-विधवा से विवाह करके।
नहीं माने। कर लिया विवाह। और छह महीने बाद मुझे कहा कि मुझे क्षमा करना कि मैं नाराज होकर गया था। आप ठीक ही कहते थे। वह दया थी; वह प्रेम नहीं था। मैं अहंकार का मजा ले रहा था कि देखो, विधवा से विवाह करता हूं।
और मेरी जाति में कोई अब तक विधवा से विवाह नहीं किया, तो मैं पहला आदमी था। मैं दुनिया को दिखाना चाहता था।
फिर विवाह हो गया। फिर फुग्गे से हवा निकल गयी। अब सामाजिक क्रांति...। मैंने कहाः हो गयी सामाजिक क्रांति! अब तुम उसको फिर विधवा बनाओ! किसी
और को सामाजिक क्रांति करने दो! अब तुम कब तक जीओगे? अब सार भी क्या तुम्हारे जीने में! तुम्हें जो करना था दुनिया में, तुम कर चुके! .
बहुत बार ऐसा हो जाता है।
कल एक युवती ने मुझे आकर कहा... । फ्रांस से आयी है; संन्यासिनी है। एक मित्र को लेकर आयी है। कहती थी : मैं बहुत दुख में थी; बहुत पीड़ित थी, परेशान
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