Book Title: Dhammapada 12
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

View full book text
Previous | Next

Page 301
________________ एस धम्मो सनंतनो नहीं है। जीसस का प्रसिद्ध वचन है : जिसके पास है, उसे और दिया जाएगा। और जिसके पास नहीं है, उससे वह भी छीन लिया जाएगा, जो उसके पास है। अनूठा वचन है : जिसके पास है, उसे और भी दिया जाएगा। तो रेवत ने सोचा कुछ लेकर जाऊं। कुछ हो मेरे पास, तब जाऊं। बड़ी ठीक बात थी। लेकिन फिर अड़चन में पड़ा। जब घटना घट गयी, तो चौंका। तो उसने सोचाः अब जाकर क्या करूंगा! अब तो उन भगवान को मैं यहीं से देख रहा हूं। अब तो समय का और स्थान का फासला गिर गया। अब तो मैंने जान लिया कि न मैं देह हूं, न वे देह हैं। अब तो मैं वहां पहुंच गया, जहां वे हैं। अब कहां जाना! अब कैसा आना-जाना? तो फिर वह कहीं नहीं गया। बैठा रहा। और तब यह अपूर्व घटना घटी। उसके अर्हत्व को घटा देख भगवान स्वयं सारिपुत्र आदि स्थविरों के साथ वहां गए। ___यही है सत्य। जिस दिन तुम तैयार होओगे, भगवान स्वयं तुम्हारे पास आता है। तुम्हारे जाने की कहीं कोई जरूरत नहीं है। जिस दिन तुम्हारी तैयारी पूरी है, उस दिन परमात्मा उतरता है। यह अर्थ है इस कहानी का। तुम्हें कहीं जाने की जरूरत नहीं है। न मक्का, न काबा; न काशी, न कैलाश। तुम्हें कहीं जाने की जरूरत नहीं है। न जेरूसलम, न गिरनार। तुम्हें कहीं जाने की जरूरत नहीं है। __ फिर तुम जाओगे भी कहां! कहां खोजोगे उसे? जब यहां नहीं दिखायी पड़ता, तो कैलाश पर कैसे दिखायी पड़ेगा? अंधा आदमी यहां अंधा है; कैलाश पर भी अंधा होगा। जब यहां नहीं मिलता, तो काशी में कैसे मिलेगा? मिलना तो तुम्हें है। नजर तुम्हारी निखरी होनी चाहिए। आंखें तुम्हारी खुली होनी चाहिए। हृदय तुम्हारा प्रफुल्लित होना चाहिए, फूल की तरह खिला हुआ। यहां नहीं खिल रहा है, काबा में कैसे खिलेगा? तम समझते हो, जो काबा में रहते हैं, वे परमात्मा को उपलब्ध हो गए हैं! तुम सोचते हो, काशी में रहने वाले परमात्मा को उपलब्ध हो गए हैं? ___ जो यहां घट सकता है, वही कहीं और भी घटेगा। और जो कहीं और घट सकता है, वह यहां भी घट सकता है। असली सवाल तुम्हारे भीतर का है। ___ बड़ी प्राचीन कहावत है कि जब शिष्य तैयार हो, तो गुरु उपस्थित हो जाता है। जब तुम तैयार हो, तो परमात्मा चुपचाप कब चला आता है, तुम्हें पता भी नहीं चलता। उसके अर्हत्व को घटा देख भगवान स्वयं सारिपुत्र आदि स्थविरों के साथ वहां गए। वह जंगल बहुत भयंकर था। रास्ते ऊबड़-खाबड़ और कंटकाकीर्ण थे। जंगली 286

Loading...

Page Navigation
1 ... 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350