Book Title: Dhammapada 12
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 328
________________ एस धम्मो सनंतनो और दोनों को सेवा करनी है! गुरु ने कहाः भाई, झगड़ा मत करो। सेवा करो। बांट लो। गुरु तो सो गया। उसको थोड़ी झपकी आ गयी। करवट ले ली; तो बायां पैर दाएं पैर पर पड़ गया। तो जिसको दायां पैर मिला था, उसने दूसरे से कहा, हटा ले अपने पैर को। यह मेरे बरदाश्त के बाहर है। देख, हटा ले। दूसरा भी...उसने कहाः कौन है मेरे पैर को हटाने वाला? यहीं रहेगा। वे दोनों डंडे ले आए। आवाज सुनकर गुरु की नींद खुल गयी। उसने कहा: जरा रुको। गुरु को मारने को डंडे ले आए, क्योंकि वह पैर! वह जिसके पैर पर पैर पड़ गया था, वह दूसरे पैर को हटा देना चाहता था। वह डंडा ले आया था कि अगर ऐसे नहीं होगा, तो डंडे से हटा दिया जाएगा। गुरु ने कहा : जरा ठहरो! पैर मेरे हैं। दोनों पैर मेरे हैं। मगर विभाजन मेरे-तेरे का झंझट लाता है। तुमने जिंदगी में इतनी बार मेरा बनाया और हर बार उजड़ा। अब तुम यहां तो मेरा मत बनाओ। यहां तो मेरा लाओ भी मत। __ 'तुम्हें अपना बनाना चाहता हूं।' तुम फर्क समझो। अगर तुम्हारे भीतर समझ हो, तो तुम मेरे बनना चाहोगे, न कि मुझे अपना बनाना चाहोगे! तुम कहोगे कि मैं राजी हूं; मुझे अपना बना लें। तुम कहोगे कि मैं समर्पित होने को राजी हूं। मैं अपने को छोड़ने को राजी हूं। मुझे अपने में लीन कर लें। लेकिन तुम कह रहे होः 'तुम्हें अपना बनाना चाहता हूं।' __मुझे तुम अपनी मुट्ठी में लेना चाहते हो! नहीं; मैं ऐसी कोई सुविधा नहीं देता। मैं किसी की मुट्ठी में नहीं हूं। इसलिए बहुत से लोग मुझसे नाराज होकर चले गए हैं। क्योंकि उनकी मुट्ठी में 'मैं नहीं आता। वे चाहते थे कि उनकी मुट्ठी में रहूं। वे जैसा कहें, वैसा करूं। जैसा कहें, वैसा बोलूं। वे जैसा कहें, वैसे उठू-बैलूं। ये सब मुट्ठी फैलाने के ढंग हैं। अजीब लोग हैं! किसी के घर में ठहर जाता था, तो वे समझे कि उनके घर में ठहरा हूं, तो वे मुझे यह भी बता देते कि आज आप बोलने जा रहे हैं, यह बात जरूर बोलना। मैं अगर बोलने भी जा रहा था, तो खतम। अब नहीं बोलूंगा। कि लौटकर मेरे साथ मुझे गाड़ी में लेकर आते, तो रास्ते में कहते कि यह बात आप न कहते तो अच्छा था। इससे कई लोगों को धक्का लग गया होगा। दुबारा आप यह बात मत कहना! __ लोग ऐसे मूढ़ हैं कि उन्हें पता नहीं कि वे क्या कह रहे हैं; किससे कह रहे हैं! उन्हें होश ही नहीं है। 313

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