Book Title: Devagam Aparnam Aaptmimansa
Author(s): Samantbhadracharya, Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 9
________________ प्रकाशकीय प्रस्तुत देवागम-भाष्य उसी क्रममें सन्निविष्ट है। स्वयम्भूस्तोत्र. युक्त्यनुशासन आदिकी तरह इसके भी प्रत्येक पद-वाक्यादिका उन्होंने अच्छा अर्थ-स्फोट किया है और ग्रन्थकारके हार्दको प्रस्तुत करने में सफल हुए हैं। इस महत्वपूर्ण रचनाको उपस्थित करनेके लिए वे समाजके विशेषतया विद्वानोंके धन्यवादाह हैं। इसकी प्रस्तावना लिखनेका वायदा हमने किया था। परन्तु हमें अत्यन्त खेद है कि हम उसे शीघ्र न लिख सके और जिसके कारण डेढ़ वर्ष जितना विलम्ब इसके प्रकाशनमें हो गया। इसके लिए हम पाठकोंसे क्षमा-प्रार्थी हैं। मुख्तार साहबका धैर्य और स्नेह ही प्रस्तावनाके लिखानेमें निमित्त हुए, अतः हम उनके भी कृतज्ञ हैं । यहाँ इतना और हम प्रकट कर देना चाहते हैं कि यह ग्रन्थ कुछ कारणोंसे दो प्रेसोंमें छपाना पड़ा। मूल ग्रन्थ (पृ. १-११२ ) तो मनोहर प्रेस में छपा और शेष सब महावीर प्रेस में। महावीर प्रेस की तत्परताके लिए हम उसे धन्यवाद देना नहीं भूल सकते । ___ आशा है पाठक इस महत्त्वपूर्ण कृतिको प्राप्तकर प्रसन्न होंगे और विलम्बजन्य कष्टको भूल जावेंगे। ११ अप्रैल १९६७, –दरबारीलाल जैन कोठिया चैत्र शुक्ला २, वि० सं० २०२४। मन्त्री, वीरसेवामन्दिर-ट्रस्ट, धन्यवाद इस ग्रन्थके प्रकाशनमें बा. रघुवरदयालजी जैन एम० ए०, एल-एल. बी. दिल्लीने २५१) की सहायता प्रदान की है। उनकी इस उदराता एवं वाङ मय-प्रकाशन-प्रेमके लिए उन्हें हार्दिक धन्यवाद है। -प्रकाशक

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