Book Title: Chovish Jina Prachin Stuti Chaityavandan Stavan Thoyadi Sangraha
Author(s): Arunvijay
Publisher: Mahavir Vidyarthi Kalyan Kendra

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Page 19
________________ (१३) मुज मन अणुमांहे भगति छे झाझीरे, तेह दरीनो तुं छे मांझी रे, योगी पण जे वात न जाणे रे, ते भचरिज कुणथी हुओ टाणे रे ॥२॥ ल. अथवा थिरमांहे अथिर न मावे रे, मोटो गज दरपणमां आवे रे, जेहने तेजे बुद्धि प्रकाशी रे, तेहने दीजे से शाबाशी रे ॥३॥ ल. उर्ध्व मूल तरुअर अध शाखा रे, छंद पूराणे अहवी छे भाषा रे, अचरिज वाळे अचरिज कीधु रे, भगते सेवक कारज सीधु रे, ॥॥ल. लाड करी जे बालक बोले रे, माता पिता मन अमीयने तोले रे, श्री नय विजय विघुधनो शिषरे, जश कहे मेम जाणो जगदीशरे.॥५॥ थोय : नरदेव भावदेवो, जेहनी सारे सेवो, जेह देवाधिदेवो, सार जगमा ज्यु मेवो, जोता जग अहवो, देव दीठो न तेहवो, सुविधि जिन जेहवो, मोक्ष दे तत खेवो॥१॥ १०. श्री शीतलनाथ स्वामीनी स्तुति : जे मुक्तिमा जई वस्था प्रभु देह त्यागी, जेना नमे चरण पंकज सर्व प्राणी, सेवा मलो सतत शीतलनाथ केरी, छे भावना मन विषे दिनरात अधी, चैत्यवंदन: नंदा दढरथ नंदनो, शीतल शीतलनाथ, राजा भहिलपुर तणो, चलवे शिव साथ ॥१॥

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