Book Title: Chovish Jina Prachin Stuti Chaityavandan Stavan Thoyadi Sangraha
Author(s): Arunvijay
Publisher: Mahavir Vidyarthi Kalyan Kendra

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Page 56
________________ दुक्स-खो कम्म-खो, समाहि-मरणं य बोहिलाभोग। संपज्जउ मह मे, तुह नाह ! पणाम करणेणं ॥४॥ सर्व-मंगल-माङ्गल्यं, सर्व-कल्याण-कारणम् । प्रधामं सर्व-धर्माणां जनं जयति शासनम् ।।५।। विधि-पछी उभा थई 'अरिहंत चेईयाण' सूत्र बोलg. सूत्र-भरिहंत-चेईयाणं करेमि काउसग्गं । वंदण-वत्तियाने पूक्षण-वत्तिया सक्कार-वत्तियामे सम्माण-पत्तियाने बोहिलाभ-वत्तिया निरुवसग्ग-वत्तियामे, सदा मेहाने घिईले धारणा अणुप्पेहाझे वड्ढमाणी, गामि काउस्सागं ॥ बोल्यापछी 'मन्नत्य' सूत्र बोलवु : सूत्र-मन्नत्थ-उससिअणं नीससिअंण खासिणं छीण जंभाईअॅण उड्डभेणं वाय-निसग्गेण, भमलीमे पित्त-मुच्छामे, सुहुमेहिं अंगसंचालेहि, सुहुमेहि खेल-संचालहिं सुहुमेहिं दिछी-संचालेहि, मेवमाई िभागारेहि, मभग्गो अविराहिलो हुज्ज मे काउसग्गो । जाव अरिहंताणं भगवंताणं नमुक्कारेणं न पारेमि; वाव काय ठाणेण मोणेणं झाणेणं भष्पाणं वोसिरामि ।। विधि-बोलीने अक नवस्कारनो काउसग्ग करवो. पछी काउसग्ग पारीने 'नमोऽहंत' सूत्र कहीने थोय कहेवी. पछी भेक 'खमासमण' देवं. [पछी पन्चरखाण जे लेवु होय ते लेखें): . १. पाछळ दरेक भगवाननी थोय मापेली छे.

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