Book Title: Chintan ke Kshitij Par
Author(s): Buddhmalmuni
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 184
________________ उस समय के मुनि नथमल : आज के __ युवाचार्य महाप्रज्ञ संस्मरणों की यात्रा युवाचार्य महाप्रज्ञ तेरापंथ धर्मसंघ के भावी आचार्य हैं। वे महाप्राण युग प्रधान आचार्यश्री तुलसी के द्वारा नियुक्त उनके उत्तराधिकारी हैं। इस नियुक्ति के अभिनन्दन में 'तुलसी प्रज्ञा' अपना विशेषांक निकाल रही है। मैं युवाचार्य का समवयस्क हूं, इससे भी अधिक मैं उनका बाल-साथी एवं सहपाठी रहा हूं, अत: उनसे सम्बन्धित कुछ संस्मरण लिखने के लिए मुझे कहा गया है। पिछले अड़तालीस वर्षों के निकट सम्पर्क के प्रकाश में जब मैं अपने जीवन के उतार-चढ़ावों की ओर दष्टिपात करता हूं तब पाता हूं कि मस्तिष्क में खट्टे-मीठे संस्मरणों की एक भीड़ धक्का-मुक्की करती हुई प्रवेश कर रही है । मैं उन सबको इस समय अपने पाठकों के सम्मुख उपस्थित कर सकू यह संभव नहीं है, परन्तु कुछ को सम्मुख लाना आवश्यक भी प्रतीत होता है । तो लीजिए, ये उपस्थित हैं हमारी बाल्यावस्था के कुछ नन्हें-मुन्ने संस्मरण, इनसे मिलिये । परन्तु एक बात का ध्यान रखिये, इनकी यात्रा मेरे बालसखा मुनि नथमल के परिपार्श्व से प्रारम्भ होती है और युवाचार्य महाप्रज्ञ तक पहुंचती है, फिर भी मंजिल और आगे है, यात्रा चालू है। बालसखा हम दोनों जन्मना ढूंढाड़ (तत्कालीन जयपुर राज्य) के हैं । मुनि नथमलजी का जन्म टमकोर (विष्णुगढ़) में और मेरा पिलानी के समीपस्थ ग्राम लीखवा में हुआ। मेरा लालन-पालन एवं प्रारंभिक शिक्षा ननिहाल में हुई, अतः मैं सादुलपुर में ही रहा और वहीं का हो गया। मेरा जन्म सं० १९७७ आषाढ़ कृष्णा ३ का है और युवाचार्यजी का आषाढ़ कृष्णा १३ का। उन्होंने तेरापंथ के अष्टमाचार्य श्री कालगणी से सं० १९८७ के माघ में दीक्षा ग्रहण की और मैंने १९८८ के कार्तिक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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