Book Title: Chetna ka Vikas
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 77
________________ मेरे प्रिय आत्मन्, चलें, सागर के पार मैने सुना है, एक व्यक्ति प्रभुपरमात्मा की खोज में सारी पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा था । परिक्रमा के दौरान उसे एक वृद्ध संत मिले। संत के चेहरे पर चेतना का अलख जग रहा था। एक अनोखा आभामंडल था। दुनिया की मुस्कान से अलग मुस्कान थी। उस व्यक्ति ने संत से निवेदन किया मैं आपके साथ रहना चाहता हूं। आप ही के साथ जीना चाहता हूं। संत ने कहा तुम मेरे साथ रह सकते हो लेकिन एक शर्त पर कि मैं जो कुछ भी करूं तुम उसके बारे में कोई प्रश्न नहीं करोगे। जिस दिन भी तुमने मेरे कृत्य के बारे में पूछा, मैं तुम्हें भगा दूंगा। उस ने शर्त स्वीकार कर ली। आखिर वह प्रभु को पाना चाहता था। ___ दोनों साथ-साथ चल पड़े, गांवजंगल पार करते हुए नदी किनारे पहुंचे। वहाँ पर एक नौका में सवार होकर दूसरे किनारे की ओर बढ़ने लगे। तभी उस व्यक्ति ने देखा कि उस वृद्ध संत ने नौका के एक कोने में छेद करना शुरू कर दिया है। वह चौंका, डरा भी, पर चुप रहा। चलें, सागर के पार/७२ For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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