________________
श्री जितयशा फाउंडेशन द्वारा साहित्य-विस्तार की अभिनव योजना
अपने घर में अपना पुस्तकालय
श्री जितयशा फाउंडेशन, लाभ-निरपेक्ष एवं विश्व-श्रेय के लिए समर्पित संस्थान है | साहित्य-विस्तार एवं कला-प्रस्तुति के क्षेत्र में इसके अपने कीर्तिमान हैं। सदाचार एवं सद्-विचार की गंगा-यमुना को घर-घर ले जाने के लिए यह संस्थान निरन्तर प्रयत्नशील है। जैन-धर्म के उन सिद्धान्तों एवं आदर्शों को घर-घर पहुँचाना हमारा उद्देश्य है, जिनकी जरूरत हर समय, हर व्यक्ति और हर समाज को रही है। फाउंडेशन के विविध विषयों से जुड़े साहित्य को भारत के प्रमुख पत्रों एवं विद्वानों ने सराहा है और उसकी सेवाओं को अनिवार्य भी माना है।
फाउंडेशन द्वारा प्रसारित साहित्य युग-युग की सम्पदा है और आधुनिक चिन्तन-जगत् की बेहतरीन प्रस्तुति । आम आदमी से लेकर विद्यार्थियों और प्रबुद्ध लोगों की ज्ञान-क्षेत्र की हर जिज्ञासा का समाधान देने में यह साहित्य लाजवाब
___ अपना पुस्तकालय अपने घर में बनाने के लिए फाउंडेशन ने एक अभिनव योजना बनाई है। इसके अन्तर्गत आपको सिर्फ एक बार ही फाउंडेशन को एक हजार रुपये का अनुदान देना होगा, जिसके बदले में फाउंडेशन अपने यहाँ से प्रकाशित होने वाले प्रत्येक साहित्य को आपके पास आपके घर पहुँचायेगा और वह भी आजीवन । इस योजना के तहत् एक और विशेष सुविधा आपको दी जा रही है कि इस योजना के सदस्य बनते ही आपको रजिस्टर्ड डाक से अब तक का प्रकाशित सम्पूर्ण साहित्य निःशुल्क प्राप्त होगा।
लीजिए! आप हमारी इस साहित्य-योजना के आजीवन सदस्य बनकर अपने घर में अपना पुस्तकालय बनाइये और व्यावहारिक जीवन की बातों से लेकर ध्यान, साधना, समाधि, चिन्तन, प्रवचन, कहानी, आगम, इतिहास एवं दर्शन-क्षेत्र की अनमोल पुस्तकें अपने घर में वसाइये।
श्री जितयशा फाउंडेशन ६-सी, एस्प्लानेड रो (ईस्ट), कलकत्ता ७०००६६
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org