Book Title: Chetna ka Vikas
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 101
________________ है। जैसे - एक महिला को या पुरुष को देखा मन में विचार उठे वह सुन्दर है और भी अन्य बातें दिमाग में आईं, शरीर आन्दोलित हुआ। लेकिन तत्काल हम अपनी आध्यात्मिकता लाते हैं और उस पर नियंत्रण करते हैं - यह मैं क्या सोच रहा हूं यह तो मेरी माता-बहिन के बरावर है, यह तो मेरे पिता-भाई के बरावर है और आप देखेंगे दस सेकेंड भी नहीं लगेंगे प्रकृति पर आपका नियंत्रण होते, प्रकृति शांत हो जाएगी। यह आपकी आध्यात्मिकता हुई। भौतिक ऊर्जा पर आध्यात्मिक ऊर्जा की विजय हुई। पंच कल्याणक पूजा या महोत्सव कोई आध्यात्मिकता नहीं है। आध्यात्मिकता तो वह है जव आपके भीतर नर उठा और आपने नारायण को प्रतिष्ठित किया। जितनी देर तक ये भाव रहे उतनी देर के लिए आप भी नारायण हो गए। ऐसे ही प्रकृति जव उभार लाती है व्यक्ति के मन में क्रोध उठेगा। जैसे को तैसा वाली नीति सांसारिक लोगों की होती है । उन लोगों की होती है जो खुद दुर्वल होते है। तुम्हारा पिता तुम पर क्रोध कर सकता है, लेकिन तुम पिता पर क्रोध नहीं कर सकते। क्योंकि पिता खुद को बलवान समझ रहा है, आप क्रोध नहीं कर पा रहे यह आपका विवेक है। नौकर है उसे आपने डाँटा, प्यार से भी डांटा जा सकता है, जब प्यार से डांटते हैं तो उस डांट में भी बड़ा आनन्द आता है। आदमी कभी प्यार से नहीं डांटता हमेशा गाली से ही डांटता है। क्रोध करना विल्कुल जरूरी नहीं है। संकेत में भी कोई वात कही जा सकती है और क्रोध करके तो आज तक कोई किसी को समझा नहीं पाया। आप अपने क्रोध को भी संकेत के माध्यम से समझा दो शायद और अधिक गहराई तक पहुँच जाओगे। जव आपको क्रोध आता है और लगता है कि जैसे को तैसा वाली नीति देनी है 'कम-से-कम' शब्दों में अपनी अभिव्यक्ति करो। जैसे टेलीग्राम करते हैं, उसमें आप नपे-तुले शब्दों का प्रयोग करते हैं उसी तरह क्रोध करो। जव क्रोध करना ही है तो मैं कहूंगा टेलीग्राम और टेलीग्राफ की तरह करो - चार शब्दों में। आपने क्रोध पर नियंत्रण कर लिया और अपनी बात भी कह दी। एक घंटा चिल्लाते तो उस पर कोई असर नहीं होता। चार शब्द कहे हैं उसने उसका रातभर सोना मुश्किल कर दिया। वह सो नहीं पाएगा, दिन में रह नहीं पाएगा। वे चार शब्द वार-बार गूंजेंगे। शाले, सागर के पार/६६ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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