Book Title: Chetna ka Vikas
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 76
________________ और जीवन का आध्यात्मिक, पर अनिवार्य मूल्य है । जीवन की ऊर्जा और शक्ति का अधिकाधिक जागरण और उपयोग हो, इसी में जीवन का अर्थ है । जीवन में जागरूकता, संतुलितता, सक्रियता, उपयोगिता और प्रसन्नता का विकास न केवल सार्थक जीवन मूल्य है, अपितु यही ध्यान का अभिप्राय है । मनुष्य का रचनात्मक और सृजनात्मक होना, न केवल स्वयं मनुष्य के लिए अपितु सामाजिक और सांस्कृतिक तकाजा है । कंठी वाले की गुफा में खूंटी पर लटकी झोली में ध्यान का दम घुट रहा है । जगत से हटने - हटाने के प्रयास में कहीं उसकी निर्मम हत्या न हो जाये । ध्यान को धरती का खुला प्रांगण चाहिए, अनन्त आसमान चाहिए, ताकि वह फूलों के मुरझाये से चेहरों को फिर से खिला सके, मनुष्य को फिर उसके ही अमृत से सींच सके । नमस्कार । Jain Education International चेतना का विकास : श्री चन्द्रप्रभ/७१ For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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