Book Title: Chetna ka Vikas
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 85
________________ कि जब उसमें घटित हो रहा है तो मुझमें क्यों नहीं होगा। तब हम जो परस्पर भाई-बहिन जैसे हैं तब वे ही हमारे प्रथम प्रभु और प्रथम गुरु और प्रथम प्रेरणास्रोत हो जाते हैं। यानी वातावरण बहुत जल्दी चार्ज हो जाता है। आप सभी लोग आगे बढ़ें यही मेरी शुभकामना है, मेरी मौजूदगी हो या न हो। यह आपका अहोभाव है, अहो समर्पण है कि आपको अहर्निश मेरी मौजूदगी का अहसास रहता है। आप उपलब्ध हो रहे है, आत्मवान् और अतिशय आह्लादित हो रहे हैं। धन्यभाग! मुझे प्रसन्नता है। अब कुछ प्रश्न । चलें, सागर के पार/८० Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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