Book Title: Chandra Pragnapti Surya Pragnapti Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 11
________________ चंदपणती पढमं पाहुडं जयइ णवणलिणकुवलयवियसियसयवत्तपत्तलदलच्छो । वीरो गयंदमयरलसललियगयविकमो भयवं ॥ १ ॥ णमिऊण सुरअसुरगस्लभुयगपरिवंदिए गयविलेसे । अरिहे सिद्धायरिए उवज्झाय सत्वसाहू य ॥ २ ॥ फुडवियडपागडत्थं बुच्छं पुव्वसुयसारणीसंदं । सुहुमगणिणोवइटुंजोइसगणरायपण्णत्तिं ॥ ३ ॥ णामेण इंदभृत्ति गोयमो वंदिऊण तिविहेणं । पुच्छइ जिणवरवसहं जोइसगणरायपण्णत्तिं ॥४॥ कइ मंडलाइ. वच्चइ १, तिरिच्छा किं च गच्छद्द २ । ओभासइ केवइयं ३ सेयाई किं ते संठिई ४ ॥५॥ कहिं पडिहया लेसा ५ कहिं ते ओयसंठिई ६ । के सरियं वरयए ७ कहं ते उदयसंठिई ८ ॥ ६॥ कहं कट्ठा पोरिसिच्छाया ९ जोगे किं ते व . आहिए १० । किं.ते संवच्छरेणाई ११, कइ संवच्छराइ य १२..॥ ७ ॥ कहं चंदमसो वुड्डी १३, कया ते दोसिणा बहू १४ । केइ सिग्धगई वुत्ते १५, कह. दोसिणलक्खणं १६ ॥ ८ ॥ चयगोववाय १७ उच्चत्ते १८ सूरिया कह आहिया १९ । अणुभावे के व संवृत्ते २०, एवमेयाई वीसई ।। ९॥ वड्डोवही मुहुत्ताणं १, अद्धमंडलसंठिई २ । के ते चिण्णं परियरइ ३, अंतरं किं चरंति य ४ ॥१०॥ उग्गाहइ केवइयं ५, केवइयं च विकंपइ ६ । मंडलाण य संठाणे ७, विखंभो ८ अट्ट पाहुडा ॥ ११ ॥ छप्पंच य सत्तेव य अट्ठ तिण्णि य हवंति पडिवत्ती । पढमस्स पाहुडस्स हवंति एयाउ पडिवत्ती ॥१२॥ पडिवत्तीओ उदए, तहा अस्थमणेसु य । भियवाए कण्णकला, मुहुत्ताण गईइ य ॥ १३ ॥ णिक्खममाणे सिग्धगई, पविसंते मंदगईइ य । चुलसीइसयं पुरिसाणं, तेसिं च पडिवत्तीओ ॥ १४ ॥ उदयम्मि अट्ठ भणिया मेयघाए दुवे य पडिवत्ती। चत्तारि मुहुत्तगईए हुंति तइयम्मि पडिवत्ती ॥१५॥ आवलिय १ मुहुत्तन्गे २, एवंभागा य ३ जोगस्सा ४ । कुलाई ५ पुण्णमासी ६ य, सण्णिवाए ७ य संठिई ८ ॥ १६ ॥ तार(य)ग्गं च ९ णेया य १० चंदमग्गत्ति ११ यावरे । देवयाण य अज्झयणे १२, मुहुत्ताणं णामया इय १३ ॥ १७॥ दिवसा राइ वुत्ता य १४, तिहि १५ गोत्ता १६ भोयणाणि १७ य । आइञ्चवार १८ मासा.१९ य, पंच संवच्छरा इय २० ॥१८॥ जोइसस्स य दाराई २१, णक्खत्तविजए विय २२ । दसमे पाहुडे एए, बावीसं पाहुडपाहुडा ॥ १९ ॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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