Book Title: Chandra Pragnapti Surya Pragnapti Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 58
________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सू . ४८ एवमाहंसुतु-ता कत्तियाइया णं सत्त गक्खत्ता पुव्वदारिया पण्णत्ता, ते एवमाहंसु - तं०कतिया रोहिणी संटाणा अद्दा पुणव्वसू पुस्सो अस्सेसा, महाइया णं सत्त णक्खन्ता दाहिणदारिया पण्णत्ता, तंजहा - महा पुव्वाफम्गुणी उत्तरापभ्गुणी हत्थो चित्ता साई विसाहा, अणुराहाइया णं सत्त णक्खत्ता पच्छिमदारिया पण्णत्ता, तंजा— अराहा जेट्ठा मूलो पुव्वासादा उत्तरासाठा अभिई सवणो, धणिट्ठाइया णं सत्त णक्खत्ता उत्तरदारिया पण्णत्ता, तंज़हा धणिट्ठा सय भिसया पुव्यापोट्ठवया उत्तरापोट्ठवया रेवई अस्सिणी भरणी । तत्थ जे ते एवमाहंसु-ता महाइया णं सन्त णवत्ता पुव्वदारिया पण्णत्ता, ते एवमाहंसु - तंजहा - महा पुव्वाप गुणी हत्थो चित्ता साई विसाहा, अणुराहाइया गं सन्त णक्खत्ता दाहिणदारिया पप्णन्ता, तं जहा - अणुराहा जेट्ठा मूले पुव्यासादा उत्तरासादा अभिई सवणे, घट्ठिाइया सत्त णक्खत्ता पच्छिमदारिया पण्णत्ता, तंजहा- धणिट्ठा सर्याभिसया पुव्वापोट्ठया उत्तरापोट्ठवया रेवई अस्सिणी भरणी, कत्तियाइया णं सत्त णक्खत्ता उत्तरदारिया पण्णत्ता, तंजद्दा—कत्तिया रोहिणी संठाणा अद्दा पुणव्वसु पुस्सो अस्सेसा । तत्थ जे F ते एवमाहंसु - ता धणिट्ठाइया णं सत्त णक्खत्ता पुव्वदारिया पण्णत्ता, ते एवमाहंसुतंजा - धणिट्ठा सयभिसया पुव्वाभद्दवया उत्तराभद्दवया रेवई अस्सिणी भरणी, कन्तियाइया णं सत्त णक्खता दाहिणदारिया पण्णत्ता, तंजहा—कत्तिया रोहिणी ठाणा अद्दा पुणव्वसू पुरसो अस्सेसा, महाइया णं सत्त णक्खत्ता पच्छिमदारिया पण्णत्ता, तंजहा -महा पुव्वाफभ्गुणी उत्तरापम्गुणी हुन्थो चित्ता साई विसाहा, अणुराहाइया णं सत्त णक्खत्ता उत्तरदारिया पण्णत्ता, तंजहा - अणुराहा जेट्ठा मूलो पुव्वासाढा उत्तरासादा अभीई सवणो । तत्थ जे ते एवमाहंसु-ता अस्सिणीआइया णं सत्त णक्खत्ता पुव्वदारिया पण्णत्ता ते एवमाहंसु - तंजहा - अस्सिणी भरणी कत्तिया रोहिणी संठाणा अद्दा पुणबसू, पुस्साइया णं सत्त णवत्त दाहिणदारिया पण्णत्ता, तंजहा - पुस्सा अस्सेला महा पुव्वाफग्गुणी उत्तराफन्गुणी हत्थो चित्ता, साईआइया णं सत्त णक वत्ता पच्छिमदारिया पण्णत्ता, तंजहा - साई विसाहा अणुराहा जेट्ठा मूलो पुव्वासादा उत्तरासादा अभीईआइया णं सत्त मक्खत्ता उत्तरदारिया पण्णत्ता, तंजहा - अभिई सवणो घणिट्ठा सयभिसया पुव्वा'महवया उत्तराभद्दवया रेवई । तत्थ जे ते एवमाहंसु-ता भरणीआइया णं सत्त णक्खत्ता पुव्वदारिया पण्णत्ता, ते एवमा सु-तंजहा भरणी कत्तिया रोहिणी सटाणा अद्दा पुणव्वसू पुस्सो, अस्सेसाइया णं सत्त णक्खत्ता दाहिणदारिया पण्णत्ता, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98