Book Title: Chandra Pragnapti Surya Pragnapti Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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३३
चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र दिवसस्स किं गए वा सेसे वा ? ता एगूणवीससयभागे गए वा सेसे वा, ता अउणासट्ठिपोरिसी णं छाया दिवसम्स किं गए वा सेसे वा ? ता बावीससहस्सभागे गए वा सेसे वा,ता साइरेगअउणासहिपोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गए वा सेसे वा ? ता णस्थि किंचि गए वा सेसे वा, तत्थ खलु इमा पणवीसणिविट्ठा छाया प०,तं०खंभच्छाया रज्जुच्छाया पागारच्छाया पासायच्छाया उवग्गच्छाया उच्चत्तच्छाया अणुलोमच्छाया आरुभिया समा पडिहया खालच्छाया पक्खच्छाया पुरओउदया पुरिमकंठभाउवगया पच्छिमकंठभाउवगया छायाणुवाइणी किट्ठाणुवाइणीछाया छायछाया १७गोलछाया,तत्थ णंगोलच्छाया अट्टविहा पण्णत्ता,तंजहा-गोलछाया अवडगोलच्छाया गाढलगोलच्छाया अवडगाढलगोलच्छाया गोलावलिच्छाया अवहगोलावलिच्छाया गोलपुंजच्छाया अवगोलपुंजच्छाया २५ ॥ २९ ॥ एवमं पाहुडं समत्तं ।। ६॥
- दसमं पाहुडं ता जोगेति वत्थुस्स आवलियाणिवाए आहितेति वएजा, ता कहं ते जोगेति वत्थुस्स आवलियाणिवाए आहितेति वए जा १ तत्थ खलु इमाओ पंच पडिक्त्तीओ पण्णत्ताओ, तं०-तत्थेगे एवमाहंसु-ता सव्वेविणं णखत्ता कत्तियाइया भरणिपनवसाणा प० एगे एवमाहंसु १, एगे पुण एवमाहंसु-ता सव्वेवि णं णक्खत्ता महाइया अस्सेसपजवसाणा पण्णत्ता एगे एवमाहंसु २, एगे पुण एवमासु-ता सव्वेवि णं णक्खत्ताधणिट्ठाइया सवणपजवसाणा पण्णत्ताएगे एवमाहंसु ३, एगे पुण एवमाइंसुता सव्वेवि णं णक्खत्ता अस्सिणीआइया रेवइपजसाणा प० एगे एक्माहंसु ४, एगे पुण एवमाहंसु-ता सव्वेषि णं णक्खत्ता भरणीआइया अस्सिणीपजवसाणा० एगे एवमाहंसु ५, वयं पुण एवं वयामो-ता सव्वेवि णं णखत्ता अभिईआइया उत्तरासादापजवसाणा पण्णत्ता, तंजहा-अभिई सवणो जाव उत्तरासादा ॥ ३० ॥ दसमस्स पाहुडस्स पढमं पाहुडपाहुडं समत्तं ।। १०-१॥
ता कहं ते मुहुत्ता आहितेति वएजा ? ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अस्थि णक्खत्ते जे णं णव मुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तहिभागे मुहुत्तस्स चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ, अस्थि णक्खत्ता जे णं पण्णरस मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, अस्थि णक्खत्ता जे णं तीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, अस्थि णखत्ता जे
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