Book Title: Chandra Pragnapti Surya Pragnapti Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 44
________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र णं पणयालीसे मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, ता एएसि णं अट्ठावीमाए णवस्त्रत्ताणं कयरे णक्खत्ते जे णं णवमुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तविभाए मुहुत्तस्स चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ, कयरे णक्खत्ता जे णं पण्णरसमुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, कयरे णवत्ता जे णं तीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोय जोएंति, कयरे णवखत्ता जे णं पणयालीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति ? ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं तत्थ जे से णखत्ते जे णं णव मुत्ते सत्तावीसं च सत्तविभागे मुहुत्तस्स चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ से णं एगे अभीई, तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं पण्णरसमुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जाएंति ते णं छ, तं०-सयभिसया भरणी अद्दा अस्सेसा साई जेट्ठा, तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं तसं मुहत्तं चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं पण्णरस, तं०-सवणे धणिट्ठा पुब्वाभद्दवया रेवई अस्सिणी कत्तिया मिगसिरपुस्सा महा पुवाफग्गुणी हत्थो चित्ता अणुराहा मूलो पुव्वासाढा, तत्थ जे ते णवत्ता जे णं पणयालीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं छ, तंजहा-उत्तरामद्दवया रोहिणी पुणव्वसू उत्तराफग्गुणी विसाहा उत्तरासाढा ॥ ३१ ॥ ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अस्थि णवत्ते जेणं चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं मोयं जोएइ, अस्थि णक्खता जे णं छ अहोरत्ते एकवीसं च मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएंति, अस्थि णक्खत्ता जे णं तेरस अहोरते बारस य मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएंति, अस्थि णखत्ता जे णं वीसं अहोरत्ते तिण्णि य मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं .. जोएंति, ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं कयरे णक्खत्ते जे णं चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएइ, कयरे णक्खत्ता जे णं छं अहोरत्ते एकवीसमुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएंति, कयरे णवत्ता जे णं तेरस अहोरत्ते बारस मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएंति, कयरे णक्खत्ता जे णं वीसं अहोरत्ते तिण्णि य मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएंति,ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं तत्थ जे से णक्खत्ते जे णं चत्तारि अहोरत्ते उच्च मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएइ सेणं एगे अभीई, तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं छ अहोरत्ते एकवीसं च मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं छ, तंजहा-सयभिसया भरणी अद्दा अस्सेसा साई जेट्ठा, तत्थ जे ते"तेरस अहोरत्ते दुवालस य मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएंति ते णं पण्णरस, तंजहासवणो धणिट्ठा पुवामद्दवया रेवई अस्सिणी कत्तिया मिगसिरं पूसो महा पुन्याफरगुणी हत्थो चित्ता अणुराहा मूलो पुब्वासाढा, तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं वीसं For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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