Book Title: Chandra Pragnapti Surya Pragnapti Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 25
________________ १५ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र अद्धा केवइयं आहिताति वएजा ? ता पंचणबुत्तरे जोयणसए तेरस य एगट्ठिभागे जोयणम्स आहिताति वएजा, ता अभिंतराए मंडलवयाए बाहिरा मंडलवया बाहिराए मंडलवयाए अम्भितरमंडलवया एस णं अद्धा केवयं आहिताति वएजा ? ता पंचदसुत्तरे जोयणसाए आहिताति वएजा ॥१८॥ पढमस्स पाहुडस्स अट्टमं पाहुडपाहुडं समत्तं ।।१८।। पढमं पाहुडं समत्तं ॥१॥ बिइयं पाहुडं ता कहं ते तेरिच्छगई आहिताति वएजा ? तत्थ खलु इमाओ अट्ठ पडिवत्तीओ पण्णत्ताओ, तं०-तत्थेगे एवमाहंसु-ता पुरत्थिमाओ लोयंताओ पाओ मरीई आगामंसि उत्तिट्ठइ,सेणं इमं तिरिय लोयं तिरियं करेइ तिरियं करेत्ता पञ्चत्थिमंसि लोयंतसि सायंमि रायं आगासंसि विद्धंसइ एगे एवमाहंसु १, एगे पुण एवमाहंसु-ता पुरत्थिमाओ लोयंताओ पाओ सूरिए आगासंसि उत्तिष्टइ, से णं इमं तिरियं लोयं तिरियं करेइ करित्ता पच्चस्थिमंसि लोयंतंसि सूरिए आगासंसि विद्धंसइ एगे एवमाहंसु २, एगे पुण एवमाइंसु-ता पुरथिमाओ लोयंताओ पाओ सूरिए आगासंसि उत्तिट्टइ, से णं इमं तिरियं लोयं तिरियं करेइ करित्ता पच्चत्थिमंसि लोयंसि सायं सूरिए आगाम अणुपविसइ २ त्ता अहे पडियागच्छइ अहे पडियागच्छेत्ता पुणरवि अवरभूपुरस्थिमाओ लोयंताओ पाओ सूरिए आगासंसि उत्तिट्ठइ एगे एवमाहंसु ३, एगे पुण एवमाहंसु-ता पुरत्थिमाओलोगंताओ पाओ सूरिए पुढविकायंसि उत्तिट्टइ, से णं इमं तिरियं लोयं तिरियं करेइ करेत्ता पच्चस्थिमिल्लंसि लोयंतंसि सायं सूरिए पुढविकायंसि विद्धंसइ एगे एवमाहंसु ४, एगे पुण एवमाहंसु-ता पुरथिमाओ लोयंताओ पाओ मूरिए पुढविकायंसि उत्तिट्टइ, से णं इमं तिरियं लोयं तिरियं करेइ करेत्ता पञ्चत्थिमंसि लोयंतंसि सायं सूरिए पुढविकायंसि अणुपविसइ अणुपविसित्ता अहे पडियागच्छइ २ त्ता पुणरवि अवरभूपुरस्थिमाओ लोयंताओ पाओ सूरिए पुढविकायंसि उत्तिइ एगे एवमाहंसु ५, एगे पुण एवमाहंसु-ता पुरथिमिलाओ लोयंताओ पाओ सूरिए आउकायंसि उत्तिट्टइ, से णं इमं तिरियं लोयं तिरियं करेइ करेत्ता पच्चत्थिमंसि लोयंतंसि पाओ सूरिए आउकायंसि विद्धंसइ एगे एवमाहंसु ६, एगे पुण एवमाहंसु-ता पुरस्थिमाओ लोगंताओ पाओ सूरिए आउकायंसि उत्तिट्टइ, से णं इमं तिरिय लोयं तिरियं करेइ करित्ता पचत्थिमं लोयतंसि सायं सूरिए आउकायंसि अणुपविसइ २ त्ता अहे Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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