Book Title: Chandra Pragnapti Surya Pragnapti Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 30
________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र २० अट्ठारस २ सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले मुहुत्तगई णिबुट्टेमाणे २ साइरेगाई पंचासीइं २ जोयणाई पुरिसच्छायं अभिबुट्टेमाणे २ सयभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए सम्वन्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ त्या णं पंच २ जोयणसहस्साई दोषिण य एकावण्णे जोयणसए अट्ठतसं च सट्ठिभागे जोय. णस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छद तयाणं इहगयस्स मणूसस्स सीयालीसाए जोयणसहस्सेहिं दोहि य दोवढेहिं जोयणसएहिं एकवीसाए य सट्ठिभागेहिं जोयणस्स सूरिए चक्खुम्फासं हव्यमागच्छइ,तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उनकोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवद, जहणिया दुवालममुहुत्ता राई भवइ, एस णं दोच्चे छम्मासे, एस णं दोच्चस्स छम्मासस्स पजवसाणे, एस णं आइच्चे संवच्छरे, एस णं आइच्चस्स संवच्छरस्स पजवमाणे ॥२९॥ विझ्यस्स पाहुडस्स तइयं पाहुडपाहुडं समत्तं ॥२-३।। बिइयं पाहुडं समत्तं ॥ २ ॥ ... तइयं पाहुडं.. ता केवइयं खेत्तं चंदिमसूरिया ओभासंति उज्जोवेति तर्वेति पगासंति आहिताति वएजा ? तत्थ खलु इमाओ बारस पडिवत्तीओ पण्णताओ, तं०-तत्थेगे एवमाहंसुता एगं दीवं एगं समुई चंदिमसूरिया ओभासंति उज्जोवेति तवेंति पगासेंति"१, एगे पुण एवमाहंसु-ता तिण्णि दीवे तिण्णि समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति"एगे एवमाहंसु २ एगे पुण एवमाहंसु-ता अद्धचउत्थे दीवसमुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति" एगे एवमाहंसु ३ एगे पुण एवमाइंसु-ता सत्त दीवे सत्त समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति'"एगे एक्माहंसु ४, एगे पुण एवमाहंसु-ता दस दीवे दस समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति"एगे एवमाहंसु ५ एगे पुण एवमाहंसु-ता बारस दीवे बारस समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति"६ एगे पुण एवमासु-ता बायालीसं दीवे बायालीसं समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति"एगे एवमाहंसु ७ एगे पुण एवमाहंसुता बावत्तरि दीवे बावत्तरि समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति"एगे एवमाहंसु ८, एगे पुण एवमाहंसु-ता बायालीसं दीवसयं बायालीसं समुद्दसयं चंदिमसूरिया ओभासंति .."एगे एवमाहंसु ९, एगे पुण एवमाइंसु-ता बावत्तर दीवसयं बावत्तरि समुद्दसयं चंदिमसूरिया ओभासंति"एगे एवमाइंसु १०, एगे पुण एवमाइंसु-ता बायालीसं दीवसहस्सं बायालं समुद्दसहस्सं चंदिमसूरिया ओभासंति"एगे एवमाहंसु ११, एगे पुण एवमाहंसु-ता बावत्तरि दीवसहस्सं बावत्तरि समुद्दसहस्सं चंदिमसूरिया ओभा For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98