Book Title: Chandra Pragnapti Surya Pragnapti Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 31
________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र संति' 'एगे एवमाइंसु १२,वयं पुण एवं वयामो-ता अयण्णं जंबुद्दीवे २ सवदीवसमुद्दाणं जाव परिक्खेवेणं पण्णत्ते, से णं एगाए जगईए सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते, सा णं जगई तहेव जहा जंबूदीवपण्णत्तीए जाव एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवे २ चोद्दससलिलासयसहस्सा छप्पण्णं च सलिलासहस्सा भवंत ति मक्खाया जंबुद्दीवे णं दीवे पंचचक्कभागसंठिए.आहिएति वएजा, ता कहं जंबुद्दीवे २ पंचचक्क भागसंठिए आहिएति वएजा ? ता नया णं एए दुवे सूरिया सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तया णं जंबुद्दीवस्स २ तिण्णि पंचचक्कभागे ओभासंति... तंजा-एगेवि एगं दिवढे पंचचकभागं ओभासइ"", एगेवि एगं दिवढे पंचचकभागं. ओभासेइ", तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, ता जया णं एए दुवे सूरिया सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तया णं जंबुद्दीवस्स २ दोण्णि चक्कभागे ओभासंति"ता एगेवि सूरिए एगं पंचचक्वालभार्गओभासइ उज्जोवेइ तवेइ पभासेइ, एगेवि एगं पंचचक्कवालभागं ओभासइ", तया णं उत्तमकट्ठपत्ता उवकोसिया अट्ठारसमुहुता राई भवइ, जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ ।। २२ ॥ तइयं पाहुडं समत्तं ॥३॥ चउत्थं पाहुडं ता कहं ते सेयाए संठिई आहिताति वएजा ? तत्थ खलु इमा दुविहा संठिई पण्णत्ता, तंजहा-चंदिमसूरियसंठिई य तावक्खेत्तसंठिई य,ता कहं ते चंदिमसूरियसंठिई आहिताति वएजा ? तत्थ खलु इमाओ सोलस पडिवत्तीओ पण्णत्ताओ, तं०-तत्थेगे एवमाहंसु-ता समचउरंससंठिया णं चंदिमसूरियसंठिई०एगे एवमाहंसु १, एगे पुण एवमाहंसु-ता विसमचउरंससंटिया णं चंदिमसूरियसंटिई पण्णत्ता०२, एवं एएणं अभिलावेणं समचउक्कोणसंठिया ३,विसमचउक्कोणसंटिया ४,समचक्कवालसंठिया ५, विसमचक्कवालसंठिया ६, "ता चक्कद्धचक्कवालसंटिया'"पण्णत्ता एगे एवमाहंसु ७, एगे पुण एवमाहंसु–ता छत्तागारसंटिया णं चंदिमसूरियसंटिई पण्णत्ता० ८, एवं गेहसंठिया ९, गेहावणसंटिया १०, पासायसंटिया ११, गोपुरसंठिया १२, पेच्छाघरसंटिया १३, वलभीसंठिया १४, हम्मियतलसंटिया १५, एगे पुण एवमाहंसु-ता वालग्गपोइयासंटिया णं चंदिमसूरियसंटिई पण्णत्ता० १६, तत्थ जे ते एवमाहंसु-ता समचउरंससंठिया णं चंदिमसूरियसंठिई पण्णत्ता०, एवं Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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