Book Title: Chandra Pragnapti Surya Pragnapti Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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- चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र दिवसे भवइ, जहणिया दुवालसमुहूत्ता राई भवइ, एस.णं दोच्चे छम्मासे, एस णं दुच्चस्स छम्मासस्स पजवसाणे, एस णं आइच्चे संवच्छरे, एस णं आइच्चस्स संवच्छरस्स पज्जवसाणे, इइ खलु तस्सेवं आइच्चस्स संवच्छरस्स सई अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, सई अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, सयं दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, सयं दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, पढमे छम्मासे अस्थि अट्ठारसमुहुत्ता राई भवह, णस्थि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, अस्थि दुवालसमुहुत्ते दिवसे, णस्थि दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, दोच्चे छम्मासे अस्थि अट्ठारसमुहत्ते दिवसे भवइ, णत्थि अट्ठारसमुहुत्ता राई, अस्थि दुवालसमुहुत्ता राई, णस्थि दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, पढमे वा छम्मासे दोच्चे वा छम्मासे णन्थि पण्णरसमुहत्ते दिवसे भवइ, णत्थि पण्णरसमुहत्ता राई भवइ, णण्णत्थ राइंदियाणं वडोवहीए मुहुत्ताण वा चओवचएणं, णण्णत्थ वा अणुवायगईए० गाहाओ भाणियवाओ ॥९॥ पढमस्स पाहुडस्स पढमं पाहुडपाहुडं समत्तं ॥ - ता कहं ते अद्धमंडलसंठिई आहिताति वएजा ? तत्थ खलु इमा दुविहा अद्धमंडलसंठिई पण्णत्ता, तंजहा-दाहिणा चेव अद्धमलसंठिई उत्तरा चेव अद्धमंडलसंठिई । ता कहं ते दाहिणअद्धमंडलसंठिई आहिताति वएजा १ ता अयण्णं जंबूदीवे दीवे सब्बदीवसमुद्दाणे जाव परिक्खेवेणं०, ता जया णं सूरिए सव्वन्भंतर दाहिणं अद्धमंडलसंठिई उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं उत्तमकट्टपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, से णिक्खममाणे सूरिए णवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि दाहिणाए अंतराए भागाए तस्साइंपएसाए अम्भितराणंतरं उत्तरद्धमंडलं संठिई उवसंकमित्ता चारं चरइ, जया णं सूरिए अभितराणंतरं उत्तरं अद्धमंडलसंठिई उवसंकमित्ता चार चरइ तया णं अट्ठारसमुहुत्ते(हि) दिवसे भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे, दुवालसमुहुत्ता राई दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिया, से णिक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि उत्तराए अंतराए भागाए तस्साइपएसाए अभितरं तच्चं दाहिणं अद्धमंडलं संठिइं उवसंकमित्ता चारं चरइ । ता जया णं सूरिए आभितरं तन्वं दाहिणं अद्धमंडलं संठिइं उवसंकमित्ता चार चरइ तया णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे, दुवालसमुहुत्ता राई भवइ चउहि एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिया, एवं खलु एएणं उवाएणं णिक्खममाणे सूरिए तयाणंतराओऽणंतरंसि तंसि २ देसंसि तं तं अद्धमंडलसंठिई संकममाणे २ दाहिणाए २ अंतराए भागाए तस्साइपएसाए सव्वबाहिरं उत्तरं अद्धमंडलसंठिई उवसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए सव्व
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