Book Title: Chandra Pragnapti Surya Pragnapti Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 16
________________ चन्द्रप्रज्ञप्ति सूत्र . ता के ते चिण्णं पडिचरइ आहितेति वएजा ? तत्थ खलु इमे दुवे सूरिया पण्णत्ता, तंजहा-भारहे चेव सूरिए एरवए चेव सूरिए, ता एए णं दुवे सूरिया पत्तेयं २ तीसाए २ मुहुत्तेहिं एगमेगं अद्धमंडलं चरंति, सट्ठीए २ मुहुत्तेहिं एगमेगं मंडलं संघायंति, ता णिक्खममाणा खलु एए दुवे सूरिया णो अण्णमण्णस्स चिण्णं पडिचरंति, पविसमाणा खलु एए दुवे सूरिया अण्णमण्णस्स चिण्णं पडिचरंति, तं सयमेगं चोयालं, तत्थ के हेऊ०ति वएजा ? ता अयण्णं जंबूदीवे २ जाव परिक्खेवेणं०, तत्थ णं अयं भारहए चेव सूरिए जंबूदीवस्स २ पाईणपडीणाययउदीणदाहिणाययाए जीवाए मंडलं चउवीसएणं सएणं छेत्ता दाहिणपुरथिमिल्लंसि चउभागमंडलंसि बाणउइं सूरियमयाइं जाइं अप्पणा चेव चिण्णाई पडिचरह, उत्तरपच्चस्थिमिल्लंसि चउभागमंडलंसि एकाणउइं सूरियमयाइं जाइं सूरिए अप्पणो चेव चिण्णं पडिचरई, तत्थ णं अयं भारहे सूरिए एरवयस्स सूरियस्स जंबूदीवस्स २ पाईणपडीणाययाए उदीणदाहिणाययाए जीवाए मंडलं चउवीसएणं सएणं छेत्ता उत्तरपुरस्थिमिल्लंसि चउभागमंडलंसि बाणउई सूरियमयाइं जाई सूरिए परस्स चिण्णं पडिचरइ, दाहिणपञ्चस्थिमिल्लंसि चउभागमंडलंसि एगूणणउई सूरियमयाइं जाई सूरिए परस्स चेव चिण्णं पडिचरइ, तत्थ णं अयं एरवए सूरिए जंबूदीवस्स २ पाईपमेणायपाए उदीणदाहिणाययाए जीवाए मंडलं चउवीसएणं सएणं छेत्ता उत्तरपुरथिमिल्लसि चउभागमंडलसि बाणउइं सूरियमयाइं जाव सूरिए अप्पणो चेव चिणं पडिचरइ,दाहिणपुरथिमिलंसि चउभागमंडलंसि एक्काणउई सूरियमयाइं जाई सरिए अप्पणो चेव चिण्णं पडिचरइ, तत्थ णं अयं एरवइए सूरिए भारहस्स सूरियस्स जंबूदीवस्स २ पाईणपडीणाययाए उदीणदाहिणाययाए जीवाए मंडल चउवीसएणं सएणं छेत्ता दाहिणपञ्चस्थिमिलंसि चउभागमंडलंसि बाणउई सूरियमयाई सूरिए परस्स चिण्णं पडिचरइ, उत्तरपुरथिमिल्लंसि चउभागमंडलंसि एक्काणउई सूरियमयाई जाइं सूरिए परस्स चेव चिण्णं पडिचरइ, ता शिक्खममाणा खलु एए दुवे सूरिया णो अण्णमण्णस्स चिण्णं पडिचरंति, पविसमाणा खलु एए दुवे सूरिया. अण्णमण्णस्स चिण्णं पडिचरंति, सयमेगं चोयालं । गाहाओ ॥ १२ ॥ · पढमस्स पाहुडस्स तइयं पाहुडपाहुडं समत्तं ॥ १-३ ।। ता केवइयं एए दुवे सूरिया अण्णमण्णस्स अंतरं कट्ट चारं चरंति आहिताति Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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