Book Title: Chaitya Purush Jag Jaye
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Sarvottam Sahitya Samsthan Udaipur

View full book text
Previous | Next

Page 5
________________ 26 N ल ल ल 34 35 36 37 38 39 40 21. आओ स्वामीजी! 22. भीखणजी स्वामी! 23. तुम बनो पुजारी 24. साधना का पथ तुम्हारा 25. बदले जीवन का आधार 26. दो वही आकाश 27. तुलसी स्वामी रे! 28. युग दर्शन के व्याख्याता 29. प्रभु को सपना आया जी 30. उजाला, तुलसी का उपकार 31. जय-जय जिन शासन 32. प्रभो ! तुम्हारे पदचिह्नों पर 33. महाप्राण गुरुदेव! 34. स्वामी! कौन-सा सुरीला 35. जगा जन-गण-मन में 36. दरस गुरुराज का रे! 37. मेरी जिज्ञासा है 38. आवरणों के सघन 39. देव दो हस्तावलंबन 40. आएं आएं हम आएं 41. भैक्षव शासन के शृंगार 42. स्वामी! शासनश्री बन तुम आए 43. साध्वी बालूजी 44. समता का सुरतरु छाया 45. पन्नाजी की जीवन-गाथा 46. आने का मेरा लक्ष्य है। 47. गाथा गुण-गौरव जीवन की 48. आत्मा की पोथी पढ़ने का 45 46 56 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 ... 58