Book Title: Chaitya Purush Jag Jaye
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Sarvottam Sahitya Samsthan Udaipur

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Page 25
________________ उसका सिंचन पा अनुशासन बन जाता वरदान, करें हम उपशम का सम्मान। शांति मंत्र को जपना सीखें, शांत सुधारस गाएं, उवसम सारं सामण्णं, की लय में हम रम जाएं। शांतिपूर्ण सहवास प्रगति का है पहला सोपान।। करें हम उपशम का सम्मान। 5. करें हम सेवा का सम्मान। सेवा की आराधना से बनता संघ महान, करें हम सेवा... उसका सिंचन पा अनुशासन बन जाता वरदान। करें हम सेवा का सम्मान। सबके खातिर एक, एक के खातिर सबकी यात्रा, हस्व वर्ण की संयोगी से बन जाती दो मात्रा। सेवा धर्मः परम गहन यह योगी का संगान।। करें हम सेवा का सम्मान। 6. करें हम सद्गुरु का सम्मान। सद्गुरु की आराधना से बनता संघ महान, करें हम सद्गुरु..... उसका सिंचन पा अनुशासन बन जाता वरदान। करें हम सद्गुरु का सम्मान । तुलसी की गति, मति तुलसी की, धृति को शीश चढ़ाएं बहुत दिया है, बहुत लिया है, उसको और बढ़ाएं। तेरापंथ पर्याय बना है तुलसी का अभियान।। करें हम सद्गुरु का सम्मान। 7. नोखा का मर्यादा उत्सव नई प्रेरणा लाए, आत्मा के अनुशासन को अब हर मानव अपनाए। महाप्रज्ञ भैक्षव शासन की सदा अलौकिक शान। करें हम आत्मा का सम्मान । करें हम आज्ञा का सम्मान। करें हम समता का सम्मान। करें हम उपशम का सम्मान । करें हम सेवा का सम्मान । करें हम सद्गुरु का सम्मान । लय : धर्म की लौ जलाएं हम... संदर्भ : मर्यादा महोत्सव नोखा, माघ शुक्ला 7, वि.सं. 2054 24 3 48003 चैत्य पुरुष जग जाए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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