Book Title: Chaitya Purush Jag Jaye
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Sarvottam Sahitya Samsthan Udaipur

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Page 38
________________ (31) जय-जय जिन शासन की जय हो भैक्षव-गण का सदा उदय हो जय-जय जिन शासन... 1. वैज्ञानिक युग में जीते हैं, बौद्धिक युग का रस पीते हैं फिर भी मति में और प्रगति में, वर्धमान दिन-रात विनय हो जय-जय जिन शासन... 2. तार्किक युग में हम जीते हैं, संशय हारा, हम जीते हैं श्रद्धा का बल बढ़ता जाए, प्रतिपल मन में यह अनुनय हो जय-जय जिन शासन... 3. सहनशीलता आज अधर में, चिंता घट-घट में घर-घर में सहनशीलता देव! हमारा, हर ऋतु में अनुकूल निलय हो जय-जय जिन शासन... 4. आवश्यक रोटी की शिक्षा, क्या कम है आचार परीक्षा हो संतुलित विकास-धारणा, जीवन का आधार अभय हो ___जय-जय जिन शासन... 5. प्रवर विकास महोत्सव का क्षण, पुलकित है जन-जन का कण-कण 'महाप्रज्ञ' सर्वोदय वेला, जय-जय-जय तुलसी की जय हो जय-जय जिन शासन... लय : जय-जय धर्मसंघ की जय हो.. संदर्भ : विकास महोत्सव, बीदासर भाद्रव शुक्ला 9, वि. संवत् 2058 चैत्य पुरुष जग जाए 37 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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