Book Title: Chaitya Purush Jag Jaye
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Sarvottam Sahitya Samsthan Udaipur

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Page 48
________________ (41) भैक्षव शासन के शृंगार, मानवता के व्याख्याकार। गण की आज बधाई लो गण की आभा बढ़ाई जो। 1. 'संघे शक्तिः कलौ युगे' यह, पाया मंत्र निधान, शिष्य वर्ग को दिया अनुत्तर, विद्या का वरदान । पहला पाठ व्यक्ति निर्माण, निखरा सबमें जीवन प्राण ।। गण की... 2. बढ़े चरण आगे अब गूंजा अणुव्रत का जयनाद, विस्मृत नैतिकता के स्वर ने पाया फिर संवाद । 'संयम ही जीवन' यह घोष उभरा नैसर्गिक संतोष।।। __ गण की.. 3. दो पैरों से नापा प्रायः सारा हिन्दुस्तान, जन साधारण से साधा सीधा संपर्क महान। की वैचारिक धार्मिक क्रान्ति, निकली जन मानस की भ्रान्ति।।। गण की... 4. परंपरा में परिवर्तन का मणि-कांचन संयोग, युग बदला बदला मानस भी, अभिनव किए प्रयोग। पहले मानव है इंसान, हिन्दू मुसलमान फिर मान ।। गण की... 5. नया मोड़ महिला जागृति का, खुला नया आयाम, रूढिविमुक्त समाज सृजन का, काम चला अविराम। पाया शाश्वत में युगबोध, युग की भाषा का अनुरोध।। । गण की... चैत्य पुरुष जग जाए 0 47 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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