Book Title: Chaitya Purush Jag Jaye
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Sarvottam Sahitya Samsthan Udaipur

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Page 49
________________ 6. संघर्षों में प्रबल पराक्रम साहस का उत्कर्ष, भावात्मक संतुलन निरन्तर बना रहा आदर्श । जब भी आया विकट विरोध, समझा उसको सदा विनोद ।। ___ गण की... 7. धर्मक्रान्ति के पांच सूत्र ने दिया नया संदेश, । और साम्प्रदायिक समता का पंचपदी उन्मेष । बौद्धिक जन में धर्म प्रभाव, जागा जन-जन में सद्भाव ।। गण की... 8. आगम सूत्र वाचना सुन्दर, संपादन साक्षात, । युग चिंतन की रचनाओं से, आया नया प्रभात । है आश्वासन प्रेक्षाध्यान, शिक्षा में जीवन विज्ञान।। गण की... 9. युगप्रधान पद हुआ अलंकृत, पा जागृत व्यक्तित्व, श्रम, शिक्षा, समणी दीक्षा से चमक उठा कर्तृत्व। अमृत महोत्सव का उल्लास, 'महाप्रज्ञ' हो सतत विकास ।। ___ गण की... लय : नीले घोड़े रा असवार... संदर्भ : आचार्य तुलसी अमृत महोत्सव आमेट, भाद्रव शुक्ला 9, वि.सं. 2042 48 चैत्य पुरुष जग जाए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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