Book Title: Chaitanya Ki Chahal Pahal Author(s): Yugal Jain, Nilima Jain Publisher: Digambar Jain Mumukshu Mandal View full book textPage 4
________________ प्रकाशकीय लोकरंजन की सस्ती प्रवृति से दूर लोकमांगल्य के उदात्त धरातल पर प्रतिष्ठित बाबू जुगलकिशोरजी 'युगल' एक प्रखर प्रज्ञापुरुष हैं। वर्तमान विशाल मुमुक्षु समुदाय के हृदय में स्थित मधुर वाणी एवं तात्त्विक ज्ञान से सुसज्जित सुप्रसिद्ध श्रेष्ठ प्रवचनकार तो हैं ही, साथ ही उनकी लेखनी भी समृद्ध है जिससे कई गहन तात्त्विक लेख, पूजा एवं कविताएँ रची गई हैं। भक्तिरस से युक्त आपके द्वारा रचित 'देव - शास्त्र - गुरु पूजन' एवं 'सिद्ध पूजन' सर्व श्रेष्ठ होने के साथ इस युग में हिन्दी साहित्य की अनुपम कृति है । जैन दर्शन के महत्वपूर्ण विषय सम्यग्दर्शन एवं सम्यक्ज्ञान (स्व- पर प्रकाशक) के वास्तविक स्वरूप का सर्वांग विवेचन “चैतन्य की चहलपहल" में चार लेखों के माध्यम से किया गया है, जिसे आत्मसात् करके भविजन अपने अनादि अलब्ध एवं विस्मृत दिव्यस्वरूप को प्राप्त कर सकेंगे । “चैतन्य की चहल-पहल " का प्रथम संस्करण कुन्दकुन्द प्रवचन प्रसारण संस्थान, उज्जैन द्वारा प्रकाशित किया गया था । इस पुस्तक में तत्त्वज्ञान : एक अनूठी जीवन कला एवं सम्यग्दर्शन और उसका विषय (प्रथम) दो लेख सम्मलित कर नया परिवर्धित द्वितीय संस्करण प्रकाशित किया गया था । तत्त्व जिज्ञासु पाठकों की अत्यधिक माँग होने से अब यह पंचम संस्करण प्रकाशित करते हुए अत्यन्त हर्ष हो रहा है। आदरणीय बाबूजी की साहित्यिक निधि को प्रकाशित करते हुये श्री दिगम्बर जैन मुमुक्षु मण्डल, कोटा गौरवान्वित अनुभव कर रहा है। प्रस्तुत पुस्तक का सुव्यवस्थित संयोजन पण्डित देवेन्द्रकुमारजी जैन अलीगढ़ एवं सम्पादन ब्र. नीलिमा जैन ने किया, इसके लिये हम उनके आभारी हैं । अधिकाधिक जिज्ञासु आदरणीय बाबूजी के गहन गम्भीर एवं स्पष्ट तात्त्विक चिन्तन को हृदयगम कर अपना जीवन सार्थक बनायें - इसी भावना के साथ प्रस्तुत प्रकाशन पाठकों को समर्पित है। विजयकुमार जैन, अध्यक्ष IIIPage Navigation
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