Book Title: Buddhinidhan Abhaykumar Diwakar Chitrakatha 006
Author(s): Ganeshmuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 8
________________ बुद्धि निधान अभय कुमार राजा श्रेणिक ने अपने सेवक को संकेत किया, वह एक मुर्गा ले आया। राजा ने मुर्गा उन ब्राह्मणों को देकर कहा इस मुर्गे को लड़ना सिखाओ। शर्त यह है कि इसके सामने कोई दूसरा मुर्गा न हो। हम अगली प्रतियोगिता में इसे लड़वाना चाहते हैं। अगर यह (हार गया तो तुम्हारी खैर नहीं है। -500053 CIMG याणा यह सुनकर ब्राह्मणों के हृदय काँप गये। वे ग्राम वापस आये और मुखिया के सामने मुर्गे को रखकर राजा की आज्ञा सुना दी। मुखिया चिन्ता में पड़ गया। उसने अभय कुमार को बुलवाया और सारी बात बताई-स रकाशा अकेला मुर्गा लड़ना कैसे सीख सकता है?/ मुखिया जी! यह तो कोई विशेष अब हम क्या करें? समस्या नहीं है। अभी इसका समाधान कर देता हूँ। Cmm | अभय ने मुखिया को एक युक्ति बताई इस मुर्गे को एक दर्पण के सामने छोड़ दो। अपने । ही प्रतिबिम्ब को दूसरा मुर्गा समझकर यह उस पर झपटेगा और लड़ना सीख जायेगा। कुछ ही दिनों में यह द्वन्द्व युद्ध में प्रवीण हो जायेगा। Ca अरे ! वाह !! VIM For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org

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