Book Title: Buddhinidhan Abhaykumar Diwakar Chitrakatha 006
Author(s): Ganeshmuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

Previous | Next

Page 10
________________ बुद्धि निधान अभय कुमार श्रेणिक ने ब्राह्मणों से पूछा-MORG CHOOC तुमने अकेले मुर्गे को लड़ना कैसे सिखाया? म p.cccd 00 महाराज! हमने इसके सामने । दर्पण रख दिया। अपने ही प्रतिबिम्ब को दूसरा मुर्गा समझकर यह लड़ना सीख गया। 6 काल कालCKORE आप ले आप लोगों के मुखिया तो बुद्धि के सागर ही मालूम होते हैं। अब मेरा एक काम और करो। हमें बालू की रस्सी की जरूरत है, मुखिया जी को कहो जल्दी बालू की रस्सी बनाकर भेजें। AR MAN पODY | गाँव आकर उन्होंने मुखिया को राजा की माँग सुनाई। सुनकर मुखिया का सिर चकरा गया। (बालू की रस्सी, न कभी देखी न कभी सुनी, कैसे बनेगी? इस बार राजा ने असम्भव काम बता दिया......। Jan Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36