Book Title: Buddhinidhan Abhaykumar Diwakar Chitrakatha 006 Author(s): Ganeshmuni, Shreechand Surana Publisher: Diwakar PrakashanPage 11
________________ मुखिया अभय कुमार के पास चलकर आया और नई समस्या बताई P बुद्धि निधान अभय कुमार बेटे ! बालू की रस्सी गुंथना तो असम्भव है। इस बार राजा हमें अवश्य दण्ड देगा। अभय की माता नन्दा को इन घटनाओं की सूचना मिलती रहती थी। एक दिन उसने अभय कुमार &0000000 Jain Education International अभय कुमार सोचता रहा, फिर उसने गाँव के लोगों को कुछ समझा दिया और कहा (G चार-पाँच दिन बाद नन्दीग्राम के लोग श्रेणिक के दरबार में पहुँचे और बोले तुम लोग दो-चार दिन बाद राजगृह चले जाना और जैसा मैंने कहा है, वैसा ही राजा से कह देना। बेटा! अपने पिताजी की योजनाओं में बाधक बनने से तुझे क्या लाभ है. ? माँ! यह तो बुद्धि का खेल है, तुम देखती जाओ, पिताजी भी जानें कि मैं भी उनका पुत्र हूँ। सहमत हनवता से कहा महाराज ! हम आपको बालू की रस्सी लाकर दे देंगे, लेकिन आप अपने राज भण्डार में से हमें बालू की रस्सी का एक टुकड़ा दिलवा दीजिए। उसी नमूने की रस्सी हम बना देंगे। For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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