Book Title: Buddhinidhan Abhaykumar Diwakar Chitrakatha 006
Author(s): Ganeshmuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 28
________________ स्त्रियाँ तुरन्त बोल उठीं युवकों ने कहा सुन्दरी का साहस सर्वश्रेष्ठ है। ved Jain Education International. बुद्धि निधान अभय कुमार तभी एक व्यक्ति उठा और अभय से बोला क्या वे चोर सर्वश्रेष्ठ नहीं हैं? जिन्होंने सरलता से प्राप्त लाखों रुपये के आभूषणों को त्याग दिया। कोई भी पुरुष अपनी पत्नी को अन्य पुरुष के पास जाने की अनुमति नहीं देगा। सुन्दरी के पति का त्याग और विश्वास सर्वश्रेष्ठ है। वृद्धों ने दैत्य को सर्वश्रेष्ठ बताया। भूखा होने पर भी उसने सुन्दर, कोमलांगी स्त्री को नहीं खाया। दैत्य का त्याग प्रशंसा योग्य है। SP Le te: WAAHEG अभय उसका जबाव सुनकर चौंक गया। उसने सोचा इतने लोगों की भीड़ में एक यही चोरों का पक्ष ले रहा है। बस, यही चोर है। उस व्यक्ति का नामपता पूछकर अभय रात में ही वापस राजमहल में आ गया। 26 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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