Book Title: Buddhinidhan Abhaykumar Diwakar Chitrakatha 006 Author(s): Ganeshmuni, Shreechand Surana Publisher: Diwakar PrakashanPage 25
________________ बुद्धि निधान अभय कुमार सुन्दरी पहले तो सकपकाई फिर साहस करके बोली अभी मैं कुंवारी हूँ। कामदेव की पूजा करने जा रही हूँ। तुम्हारे स्पर्श से अशुद्ध हो जाऊँगी। हाँ! यह वचन देती हूँ कि विवाह होने पर पहली रात तुम्हारे पास आ जाऊँगी। अशुद्ध होने वाली बात माली की समझ में आ गई, वह बोला Jain Education International सुन्दरी ने उसे आश्वासन दिया और चल दी। कुछ समय बाद सुन्दरी का विवाह विमल नामक युवक के साथ हो गया। मिलन की पहली रात्रि सुन्दरी ने अपने पति को माली वाली पूरी घटना बताई और आज्ञा माँगी। विमल अपनी पत्नी की स्पष्टता से बहुत प्रभावित हुआ उसने कहा जाओ मैं तुम्हारे वचनपालन में बाधक नहीं बनूँगा परन्तु वापस लौटकर मुझे सब कुछ सत्य बता देना। अपना वचन याद रखना। प्राण देकर भी वचन का पालन करूँगी। सुन्दरी सोलह श्रृंगार में सजकर, माली के घर की ओर चल दी। मार्ग में उसे दो चोर मिले। आभूषणों को देखकर उनका मन ललचा गया। उन्होंने सुन्दरी को रोककर कहा 23 For Private & Personal Use Only हमें तुम्हारे आभूषण चाहिये। परन्तु हम पर-स्त्री को स्पर्श नहीं करते। इसलिये स्वयं अपने आभूषण उतारकर हमें दे दो। www.jainelibrary.orgPage Navigation
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