Book Title: Buddhinidhan Abhaykumar Diwakar Chitrakatha 006 Author(s): Ganeshmuni, Shreechand Surana Publisher: Diwakar Prakashan View full book textPage 9
________________ बुद्धि निधान अभय कुमार ग्रामवासी मुर्गे को लेकर श्रेणिक के पास आये।। ऐसा ही किया गया AAVALPUR महाराज! हमने आपके मुर्गे को युद्ध में प्रवीण कर दिया। | है। आप चाहें तो इसकी परीक्षा ले सकते हैं। | और मुर्गा द्वन्द्व युद्ध में कुशल लड़ाकू हो गया। राजा ने तुरन्त एक लड़ाकू मुर्गा मँगवाया और उसके सामने, छोड़ दिया। यह मुर्गा उस लड़ाकू मुर्गे पर टूट पड़ा। बैं....क्वै... क्वै..... गाँव वाले मुर्गे ने उस लड़ाकू मुर्गे पर चौंच से ऐसे तीव्र प्रहार किये कि राजा का मुर्गा थोड़ी देर में ही लहूलुहान होकर धरती पर गिर पड़ा। ANJइन गाँव वालों में जरूर कोई बाहर का बुद्धिमान आया हुआ है, जो मेरी पिने सब युक्तियों को काटता AGO जा रहा है। Jain Education International www.jainelibrary.org. For Private & Personal Use OnlyPage Navigation
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