Book Title: Buddhinidhan Abhaykumar Diwakar Chitrakatha 006 Author(s): Ganeshmuni, Shreechand Surana Publisher: Diwakar PrakashanPage 21
________________ बुद्धि निधान अभय कुमार सुनते ही सामन्त पसीना पसीना हो गया, उसकी आँखों के सामने अँधेरा छाने लगा। अभय ने दो लाख स्वर्ण मुद्राओं का बक्सा अपने रथ में रखवाया और जाते-जाते बोला मैं चलता हूँ किसी अन्य सामन्त के पास, आप निश्चिन्त होकर सोइये। 444 FOODIO ED महामात्य' 'जी' * मुझ पर कृपा करिये। राजगृह में और भी सामन्त हैं। उनका मांस ले लीजिये। इस कृपा के बदले में दो लाख स्वर्ण मुद्रायें आपको भेंट देता हूँ। जैसी तुम्हारी इच्छा। Jam Education International इसी प्रकार अभय दूसरे मांसाहारी सामन्तों के घर पर गया और महाराज की जीवन रक्षा के लिये दो तोले हृदय का मांस मांगा, किन्तु कोई भी सामन्त अपना मांस देने को राजी नहीं हुआ, बदले में जान बचाने के लिए किसी ने दो लाख किसी ने तीन लाख स्वर्ण मुद्रायें अभय को भेंट की। 2091 29, AN 6000.com 19 For Private & Personal Use Only 69goa www.jainelibrary.orgPage Navigation
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