Book Title: Buddhinidhan Abhaykumar Diwakar Chitrakatha 006 Author(s): Ganeshmuni, Shreechand Surana Publisher: Diwakar Prakashan View full book textPage 6
________________ बुद्धि निधान अभय कुमार अभय कुमार ने पास पहुंचकर देखा-एक नीम के पेड़ के नीचे सभी ग्रामवासी इकट्ठे होकर विचार कर रहे हैं। गांव का मुखिया कह रहा था खाण भाईयो! राजा श्रेणिक हम पर कुपित हो गया। है, इसलिए उसने हमें एक असंभव और कठिन आज्ञा भेजी है कि गाँव के मीठे पानी के कुए को राजगृह पहुँचाओ, अन्यथा राजाज्ञा भंग करने का कठोर दंड दिया जायेगा। अब तो हमें गाँव छोड़कर कहीं दूर जाना पड़ेगा। KAR | तभी अभय पीछे से सामने आ गया और मुखिया को नमस्कार करके बोला मुखिया जी, क्या मैं बेटा ! तुम कौन हो? तुम्हें पता नहीं। आपकी कुछ मदद MIRMW राजा श्रेणिक जिस पर रुष्ट हो जाते कर सकता हूँ? हैं, उसे भगवान भी नहीं बचा सकते । अभय कुमार ने हँसते हुए कहा मुखिया जी! मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता. है, फिर आपकी यह समस्या तो मैं ही चुटकियों में हल कर सकता हूँ। वह कैसे? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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