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ओर झुका दिया है। ऐसे चमत्कार करके बताने की शक्ति साध्य है तो उसीसे किसी मनुष्य को महापुरुष कहलाने लायक नह समझना चाहिए । महापुरुपों की चमत्कार करने की शक्ति या 'अरे वियन नाइटस' जैसी पुस्तकों में मिलनेवाली जादूगरो की शक्ति इ. दोनो का मृल्य मनुष्यता की दृष्टि से समान ही है। ऐसी शक्ति होने से कोई पूजाका-पात्र नहीं होना चाहिए। राम ने शिला से अहिल्य की अथवा पानी पर पत्थर तिराए, यह वात निकाल डालिए, कृष्प फेवल मानवी शक्ति से ही अपना जीवन जीए ऐसा कहन चाहिए। ईसा ने एक भी चमत्कार नहीं बताया था ऐसा मानन चाहिए, फिर भी राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर, ईसा आदि पुरु मानव जाति के क्यो पूजा-पात्र हैं, इस दृष्टि से यह चरित्र लिख का प्रयत्न है। कइयों को संभव है कि यह न रुचेगा, लेकिन यह यथार्थ वष्टि है। यह मेरा विश्वास है और इस लिए इस पद्धति के न छोड़ने का मेरा आग्रह है।
महापुरुपो को देखने का यह दृष्टि-विंदु जिनको मान्य । उनके लिए ही यह पुस्तक है।
अन्त में एक बात और लिखना आवश्यक है। इसमें जं कुछ नया है वह पहले मुझे सूझा है, ऐसा नहीं कह सकता । मे
जीवन के ध्येय में और उपासना के दृष्टि-विंदु में परिवर्तन करनेवाले ' मुझे पंधकार से प्रकाश में ले जानेवाले अपने पुण्य-पाद गुरुदेव क