Book Title: Bramhasutra me Uddhrut Acharya aur Unke Mantavyo ka Adhyayan
Author(s): Vandanadevi
Publisher: Ilahabad University

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Page 328
________________ शङ्करानन्द (१४वीं शताब्दी) प्रसिद्ध पंचदशी के लेखक स्वामी विद्यारण्य है, और शङ्करानन्द विद्यारण्य के पूज्य गुरु थे। शङ्करानन्द द्वारा ब्रह्मसूत्र पर ब्रह्मसूत्र दीपिका नामक टीका लिखी गयी है। उन्होंने आत्मपुराण नामक प्रसिद्ध ग्रन्थ की भी रचना की थी। इसके साथ ही लगभग १०८ उपनिषदों की टीका लिखकर अद्वैत वेदान्त का विश्लेषण किया है। आनन्दगिरि (१५वीं शताब्दी) आनन्दगिरि अद्वैतवाद के समर्थक रहे है तथा शङ्करोत्तर अद्वैतवादियों में मुख्य दार्शनिक आचार्य है। इनका दूसरा नाम आनन्द ज्ञान भी है। आनन्दगिरि ने शङ्कराचार्य के भाष्यग्रन्थों पर टीकाएं लिखकर अद्वैतवाद के विभिन्न सिद्धान्तों का विवेचन करते हुये शाङ्कर मत का ही समर्थन किया है। आनन्द गिरि द्वारा वेदान्तसूत्र भाप्य पर 'न्याय निर्णय' नामक प्रसिद्ध टीका लिखी गयी है। इनके द्वारा ही 'शङ्करदिग्विजय' नामक ग्रन्थ की रचना की गयी है। जिसके द्वारा शड्कराचार्य के जीवन एवं दार्शनिक सिद्धान्तों को जानने में सहायता मिलती है। अखण्डानन्द (१५वीं शताब्दी) १५वीं शताब्दी में ये अद्वैतवाद के मुख्य आचार्य थे। ये अखण्डानुभूति के शिष्य थे। १२वीं शताब्दी में प्रकाशात्मयति रचित पञ्चपादिका पर इन्होंने तत्वदीपन नामक एक प्रामाणिक टीका की रचना किये। इस ग्रन्थ में अद्वैत वेदान्त का सूक्ष्म विवेचन किया गया है। इन्होंने वाचस्पति मिश्र की ‘भामती' नामक ग्रन्थ पर 'ऋजुप्रकाशिका' नामक टीका की रचना किये है। 313

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