Book Title: Bramhasutra me Uddhrut Acharya aur Unke Mantavyo ka Adhyayan
Author(s): Vandanadevi
Publisher: Ilahabad University

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Page 352
________________ को परोक्ष ज्ञान मानते है और उनके अनुसार ब्रह्म साक्षात्कार के लिये उपासनादि भी प्रमुख साधन है। २. ख्यातिवाद के सिद्धान्त में भी विवरणकार शाङ्कर मत का अनुसरण करते है और भ्रमस्थल में अनिर्वचनीय ख्याति को स्वीकार करते है । परन्तु मण्डन प्रस्थान भ्रम स्थलीय ज्ञान की व्याख्या के लिये विपरीत ख्याति को स्वीकार करता है । ३. अविद्या को भी लेकर दोनों प्रस्थानों में मतभेद है- विवरण प्रस्थान जहां अविद्या को एक मानता है वहां मण्डन मिश्र के अनुसार अविद्या दो प्रकार की होती है - १. अग्रहण अविद्या २. अन्यथाग्रहण अविद्या । विवरण प्रस्थान अविद्या का आश्रय और विषय (दोनों ही ) ब्रह्म को मानता है किन्तु मण्डन मिश्र एवं भामती प्रस्थान के अनुसार अविद्या का आश्रय जीव है और विषय ब्रह्म है । ४. विवरण प्रस्थान और भामती प्रस्थान ब्रह्मद्वैतवादी है । मण्डन प्रस्थान भावाद्वैतवादी है। जिसके अनुसार अविद्या निवृत्ति ब्रह्मातिरिक्त है अर्थात् अभावतत्त्व के होने से भावाद्वैत के अद्वैततत्त्व की हानि नहीं होती है, क्योंकि ब्रह्म ही एकमात्र और अद्वितीय भाव-तत्त्व (सत्) है। ५. मण्डन मिश्र शब्द ब्रह्मवाद और स्फोटवाद दोनों स्वीकार करते है किन्तु विवरण प्रस्थान और भामती प्रस्थान दोनों ही इसका खण्डन करते है । ६. मण्डन मिश्र जीवनमुक्ति को नहीं मानते हैं किन्तु विवरण प्रस्थान जीवन मुक्ति के साथ विदेह मुक्ति भी स्वीकार करते है । स्वामी विद्यारण्य ने तो 'जीवनमुक्ति विवेक' नामक ग्रन्थ लिखकर जीवनमुक्ति के स्वरुप, साधन, कारण तथा प्रयोजन का मुमुक्षु उपयोगी विवेचन किया है। 338

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