Book Title: Bramhasutra me Uddhrut Acharya aur Unke Mantavyo ka Adhyayan
Author(s): Vandanadevi
Publisher: Ilahabad University

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Page 333
________________ दीक्षित अप्पय दीक्षित के शिष्य थे और पंडित राज के अपना ग्रन्थ 'मनोरमाकुचमर्दन लिखकर भट्टोजी दीक्षित का विरोध किया। कुप्पूस्वामी शास्त्री के अनुसार अप्पय दीक्षित का जन्म १५५३ ई० में और देहान्त १६२६ में हुआ था। मधुसूदन सरस्वती (१६०० ई०) मधुसूदन सरस्वती कोत्तर काल के अद्वैत सम्प्रदाय के मुख्य आचार्यों में से एक है। इनमे पूर्वज पंडित श्रीराम मिश्र ईसा की १२वीं शताब्दी में संभवतः बंगाल के नवदीप में आकर बस गये। इनके कुल में उन्पन्न श्री पुरोदन पुरदराचार्य के चार पुत्र हुये- (१) श्री राम या श्री नाथ चूड़ामणि (२) कमलनयन या मधुसूदन गोस्वामी (३) यादव (४) वागीश गोस्वामी। श्री रामाज्ञा पाण्डेय ने अपने वेदान्त 'कल्पलातिका' के अपने संस्करण में मधुसूदन को जन्म से बंगाली होना बताया है। श्री मधुसूदन को उनके पिता ने काव्य साहित्य एवं व्याकरण पढ़ाया। उन्होंने श्रीराम तर्क वागीश से न्यायशास्त्र का गहन अध्ययन किया। उनके सहपाठी प्रत्यक्ष चिन्तामणि के टीकाकार नव्य नैरयायिक गदाधर भट्टाचार्य थे जब मधुसूदन सरस्वती नव्यदीप पहुंचे तब गदाधर भट्टाचार्य कांप गये थे नवदीपं समायते मधुसूदन वाक्यतौ। चकम्पे तर्कवागीशः कातरोऽभूद गदाधरः ।। मीमांसा तथा वेदान्त के अध्ययन हेतु वे वाराणसी आकर रहे थे। काशी में श्री रामतीर्थ जी से अद्वैतवेदान्त तथा श्री माधवसरस्वती से उन्होंने मीमांसाशास्त्र का अध्ययन किया। 'गीता शङ्कर भाष्य' पर 'गीता निबन्ध' नामक ग्रन्थ लिखकर दिखाने पर श्री विश्वेश्वर सरस्वती ने उन्हें सन्यास की दीक्षा दिया। सन्यास के पश्चात वे मधुसूदन 318

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