Book Title: Bhavna Shatak
Author(s): 
Publisher: Jivanlal Chhaganlal Sanghvi

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Page 401
________________ परिशिष्ट. मैत्री भावना. राग-आशावरी । ताल-त्रिताल. मैत्र्या भूमिरतीव रम्या भव्यजनैरेव गम्या | मैत्र्या ॥ ध्रुवपदम् ॥ भ्रातृभगिनीसुतजायाभिः। स्वजनैः सम्बन्धिवगैः॥ समानधर्मेंिितजनैश्च क्रमशो मैत्री कार्या ॥ मैच्या ॥१॥ कालेऽतीते भवेत्मद्धः। यथा च मैत्रीप्रवाहः ॥ ग्रामजना ये जानपदा वा। मैत्र्या तेऽन्तर्भाव्याः॥ मैत्र्या ॥२॥ गवादयस्तियश्चः सर्वे । विकलेन्द्रियास्त्रयोपि ॥

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