Book Title: Bhav Tribhangi
Author(s): Shrutmuni, Vinod Jain, Anil Jain
Publisher: Gangwal Dharmik Trust Raipur

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Page 118
________________ 2 गुणस्थान भाव व्युच्छित्ति भाव अभाव 2 (मिथ्यात्व, 131 (कुज्ञान3, दर्शन 2,| 10 (ज्ञान 4, क्षायो. लब्धि 5, गति अभव्यत्व) | अवधिदर्शन, 3, कषाय 4, पुरुषवेद, सम्यक्त्व3, देशसंयम, मिथ्यात्व, अज्ञान, सराग चारित्र) असंयम, असिद्धत्व, लेश्या 6, भव्यत्व, अभव्यत्व, जीवत्व) 3 (कुज्ञान 3) 29 (उपर्युक्त 31. में से 12 (उपर्युक्त 10 में मिथ्यात्व, अभव्यत्व, मिथ्यात्व, अभव्यत्व, कम) जोड़ना) 30 (उपर्युक्त 29 में से | 11 (पूर्वोक्त 12 में से 3 कुज्ञान कम कर 3 मिश्र मिश्र ज्ञान, अवधिदर्शन ज्ञान 3, तथा कम करके 3 कुशान अवधिदर्शन जोड़ना) | जोड़ना) 5 (3 अशुभ 33 (पूर्वोक्त 30 + 3 | 8 (कुज्ञान3, मिथ्यात्व, लेश्या, सम्यक्त्व + 3 ज्ञान - 3 अभव्यत्व, सरागसंयम, असंयम, मिश्रज्ञान) संयमासंयम, मनः देवगति) पर्ययज्ञान) 129 (पूर्वोक्त 33 -3 12 (पूर्वोक्त.. (संयमासंयम, अशुभ लेश्या, | देशसंयम + 3 अशुभ तिर्यचगति) असंयम, देवगति + | लेश्या, असंयम, देशसंयम) देवगति) 6 . 0 129 (पूर्वोक्त 29 . |12 (पूर्वोक्त 12 • तिर्यंचगति, देशसंयम मनःपर्यय, सराग चारित्र + मनःपर्ययज्ञान, + तिथंचगति, सराग चारित्र) देशसंयम) |12 (पूर्वोक्त ) ३ (पीत, पद्म 29 (पूर्वोक्त ) लेश्या, वेदक सम्यक्त्व) (105) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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