Book Title: Bhav Tribhangi
Author(s): Shrutmuni, Vinod Jain, Anil Jain
Publisher: Gangwal Dharmik Trust Raipur

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Page 122
________________ अभाव संदृष्टि नं.59 क्रोधमानमाया भाव (41) गुणस्थान भाव व्युच्छित्ति भाव 2(मिथ्यात्व, |31 (कुज्ञान3, दशन 2,| 10 (ज्ञान, दर्शन 1, अभव्यत्व) क्षायो. लब्धि 5, गति । 4, कषाय 1, लिंग3, सरागचारित्र, सम्यक्त्व मिथ्यात्व, अज्ञान, असंयम, असिद्धत्व, लेश्या 6, जीवत्व, भव्यत्व, अभव्यत्व) देशसंयम, 3) 3(कुज्ञान 3) |29 (उपर्युक्त 31- में से 12 (उपर्युक्त 10 + मिथ्यात्व, अभव्यत्व) | मिथ्यात्व, अमव्यत्व) 30 (उपर्युक्त 29 में से -J11 (पूर्वोक्त 12 - मिश्र कुज्ञान 3 + मिश्र ज्ञान | 3 ज्ञान, अवधिदर्शन 3, तथा अवधिदर्शन) | कम करके 3 कुशान जोड़ना) 6 (3 अशुभ 33 (पूर्वोक्त 30 + 3 (पूर्वोक्त 11-3 लेश्या, देवगति सम्यक्त्व, ज्ञान3-3 सम्यक्त्व) असंयम, मिश्र ज्ञान) नरकगति) 128 (पूर्वोक्त 33-3 |13 (पूर्वोक्त - (संयमासंयम, अशुभ लेश्या, देशसंयम + 3 अशुभ तिर्यचगति) नरकगति, देवगति, |लेश्या, नरक, देवगति असंयम + देशसंयम) | असंयम) 10 28 (पूर्वोक्त 28- 13 (पूर्वोक्त 13 -. तिर्यंचगति, मनःपर्ययज्ञान, सराग देशसंयम + चारित्र + तिर्यंचगति, मनःपर्ययज्ञान, सराग देशसंयम) चारित्र) 13 (पीत, पद्म |28 (पूर्वोक्त) | 13 (पूर्वोक्त) लेश्या, वेदक सम्यक्त्व) (109) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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