Book Title: Bhav Tribhangi
Author(s): Shrutmuni, Vinod Jain, Anil Jain
Publisher: Gangwal Dharmik Trust Raipur

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Page 141
________________ गुणस्थान भाव व्युच्छित्ति भाव अभाव मिथ्यात्व 2 (मिथ्यात्व 29 (कुज्ञान 3, दर्शन |10 (सम्यक्त्व 3, ज्ञान 4, | अभव्यत्व) 2, क्षयो. लब्धि 5, अवधिदर्शन, संयमासंयम, गति 3, कषाय 4, सराग संयम) लिंग3, लेश्या 2, मिथ्यात्व, असंयम, अज्ञान, असिद्धत्व, पारिणामिक भाव 3) सासादन] 3 (कुज्ञान 3) |27 (उपर्युक्त 29 - | 12 (उपर्युक्त 10 + मिथ्यात्व, अभव्यत्व) मिथ्यात्व, अभव्यत्व) मिश्र 10 | 28 (उपर्युक्त 27 - 11 (उपर्युक्त 12 + कुज्ञान कुज्ञान 3, + मिश्र 13 -मिश्र ज्ञान 3, ज्ञान 3, अवधिदर्शन) |अवधिदर्शन) असंयत | 2 (असंयम, 131 (सम्यक्त्व 3, ज्ञान 18 (कुज्ञान 3, मनःपर्यय देवगति) | 3, दर्शन 3, ज्ञान, संयमासंयम, सराग क्षयो.लब्धि 5, संयम, मिथ्यात्व, | तिर्यञ्चादि आदि 3 अभव्यत्व) गति, कषाय 4, लिंग 3, लेश्या 2, असंयम, अज्ञान, असिद्धत्व, जीवत्व, भव्यत्व) देश संयमा2 (तिर्यचगति, 30 (उपर्युक्त 31 - 2 9 (उपर्युक्त 8+2 असंयम, संयमासंयम) (असंयम, देवगति - संयमासंयम) देवगति+संयमासंयम) 19 (उपर्युक्त 9+संयमासं. तिर्यंचगति -सराग संयम, मनःपर्यय ज्ञान) प्रमत्त 30 (पूर्वोक्त 30 + संयत संरागसंयम, मनःपर्ययज्ञान - देशसंयम, तिर्यचगति) अप्रमत्त । 13 (वेदक | 30 (पूर्वोक्त) सम्यक्त्व पीत, पद्म लेश्या) 9 (पूर्वोक्त) संयत (128) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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