Book Title: Bhav Tribhangi
Author(s): Shrutmuni, Vinod Jain, Anil Jain
Publisher: Gangwal Dharmik Trust Raipur

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Page 154
________________ संदृष्टि नं. 86 असंज्ञी भाव (27) असंज्ञी जीव के 27 भाव होते है । गुणस्थान आदि के दो होते हैं 27 भाव इस प्रकार है- कुज्ञान 2, दर्शन 2, क्षायो. लब्धि 5, तिर्यचगति, कषाय 4, लिंग 3, अशुभ लेश्या 3, मिथ्यात्व, असंयम, अज्ञान, असिद्धत्व पारिणामिक भाव 3 | संदृष्टि इस प्रकार है - गुणस्थान भाव व्युच्छि ति भाव मिथ्यात्व | 2 (मिथ्यात्व |27 (उपर्युक्त) अभव्यत्व) सासादन 2 (कुज्ञान 2) |25-(उपर्युक्त 27- 2 (मिथ्यात्व, अभव्यत्व) मिथ्यात्व, अभव्यत्व) - अभाव चार्ट नं. 87 आहारक भाव (53) आहार मार्गणा में आहारक जीव के पूरे 53 भाव पाये जाते हैं । गुणस्थान आदि के तेरह होते है इसका कथन गुणस्थान के समान जानना चाहिए । संदृष्टि इस प्रकार है-' दे. संदृष्टि (1) गुणस्थान | भाव व्युच्छित्ति । भाव अभाव मिथ्यात्व 2 19 सासादन 13 132 21 मिश्र 33 20 36 17 अविरत 16 देश संयम प्रमत्त संयत 31 22 31 31 22 अप्रमत्त संयत अर्पू.क. अनि.क. सवेद भाग 10 2: 25 , 28 25 (141) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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