Book Title: Bhav Bhavna Prakaranam Part 02
Author(s): Subodhchandra Nanalal Shah
Publisher: Gangabai Jain Charitable Trust Mumbai

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Page 480
________________ परिणसु अणुरूवं नियगुणाण एसा य तुज्झ परिणीया । होहिइ असंसयं रिद्धिविद्धिसुहकारिणी परमा इय सोउं तत्र्चयणं सयमेव य जुत्तिसंगयं नाउं । सुलसं मग्गेऊणं परिणीया सा कुमारेण ||३५|| अह पवरवत्थभूसणसमलंकियविग्गहाए जणाए । ठाणं संपत्ताए अमरीओऽवि लंघए रूवं ॥ ३६ ॥ पाणपिया सह तीइ पमुहओ निच्चमहिणवसुरो व्व । विसयसुहाई निसेवइ तओ स मयरद्धयकुमारो साव हुइ विलासे तस्स पसाएण तह समायरइ । सविसेसं जिणधम्मं पञ्चकखफलोवलंभेण ॥ ३८ ॥ सह सुलवणिकुडुंबेण तीइ पडियोहिउं कुमारोऽवि । विहिओ जिनिंदधम्मम्मि निचलो सग्गमोक्खफले काले य पियरे उवरयम्मि रज्जे परिट्टिओ एसो । मयरद्धओ कुमारो पयावनयविक्कमम्भहिओ ॥ सा पट्टमहादेवी जउणा ठविया तओ महाराया । मयरद्धओ महीए जाओ सयलाए विक्खाओ ॥ ४१ ॥ सुवणिओविठविओ सेट्ठिपए गोरवेण गरुएण । गिण्हइ य सावयत्तं जणावयणेण सकुटुंब |४२| असा णावि हुकहियं जउणा तओ वियाणेइ । नियपियर ममरकेउं रयणवइपुरीइ निवसतं |४३| असो बलिणा केणावि राणा कह वि दिव्वजोएण । अवहरियसयलरजो सकुटुंबो आगओ तत्थ ॥ मगरद्धयनरवणा जणावयणाउ तो महंतेण । सम्माणिओ तुरंगमकरिवररयणाइदाणेण ॥४५॥ सो मरणsag भज्जासहिएण तत्थ विन्नाओ । जउणाए वइयरो तो पहिहहियओ तहिं वसइ ॥ हु ।। ४४९ ।।

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