Book Title: Bhamashah Author(s): Dhanyakumar Jain Publisher: Jain Pustak Bhavan View full book textPage 9
________________ श्री सुमेरुचन्द्र दिवाकर, न्यायतीर्थ शास्त्री ( सुप्रसिद्ध साहित्यकार ) भारतीय वीरों के इतिवृत्त में राणा प्रताप का अप्रतिम पराक्रम शौर्य धैर्य त्याग आदि उन्नामिनी प्रवृत्तियों को कौन मानव भूल सकता है ? उन प्रतापपुंज राणा के गौरव को अत्यन्त संकटसंकुल समय में अपने विश्वातिशायी औदार्य के द्वारा विनीत भावपूर्वक प्रशस्त सहायता देने वाले वीर प्रभु के आराधक भामाशाह की स्मृति भी उसी प्रकार मंगलमयी विभूति है । महाराणा तथा त्यागवीर भामा का सम्बन्ध मणि- कांचन योग सदृश मनोहर लगता है । सुकवि श्री 'सुधेश' ने महामना भामाशाह पर अपनी भद्र रचना बनायी है, यह प्रसन्नता की बात है । आशा है सात्विकता एवं वीरता के प्रेमी इससे पर्याप्त प्रकाश प्राप्त करेंगे । यथार्थ में वर्तमान भरत खण्ड को ही नहीं, विश्व को भामाशाह सदृश धनकुवेर ही आह्लाद प्रदान कर सकते हैं । मैं सुकवि सुधेश के सत्प्रयत्न की सफलता चाहता हूं । सिवनी, - सुमेरुचन्द्र दिवाकर श्री माननीय महेन्द्रकुमारजी 'मानव' ( समाज सेवा मंत्री वि० प्र० ) 'यह जान कर प्रसन्नता हुई कि आपने 'भामाशाह' शीर्षक ऐतिहासिक नाटक लिखा है । आशा है आपकी कृति विद्वज्जनों के बीच आदर पायेगी ।' रीवा, —महेन्द्रकुमारPage Navigation
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