Book Title: Bhamashah
Author(s): Dhanyakumar Jain
Publisher: Jain Pustak Bhavan

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Page 12
________________ धन्यवाद है। धन्यवाद है प्रसिद्ध ऐतिहासिक विद्वान श्री-अगरचन्द्र जी नाहटा और सकल शोधक श्री अयोध्या प्रसाद जी गोयलीय को जिनके गवेषणापूर्ण निबन्ध मेरे नाटक को प्रामाणिक बनाने में सहायक सिद्ध हुए। धन्यवाद है श्री बरमेन्द्र पुस्तकालय नागौद, महावीर जैन पुस्तकालय जबलपुर और ज्ञान भण्डार उदयपुर को जिनसे मुझे अपेक्षित ग्रन्थ अवलोकनार्थ प्राप्त हुए । धन्यवाद है 'वीर शासन' पत्र को जिसने मेरा 'भाभाशाह विषयक जिज्ञासाए' शीर्षक निबन्ध अपने पाठकों तक पहुंचाया और श्री अगरचन्द्र जी नाहटा का निबन्ध प्रकाशित कर मेरी जिज्ञासाओं के समाधान में योगदान दिया। धन्यवाद है उन सभी सन्देशदाताओं को जिन्होंने समय पर अपने सन्देश भेजकर मुझे अपने श्रम पर सन्तोष करने का अवसर दिया है। __ धन्यवाद है अपने उन सभी हितैषियों और परिचितों को जिनकी प्रेरणा से मैं अपने मनोरथ को मूर्तिमान करने में समर्थ हो सका। इत्यलम् । -धन्यकुमार जैन 'सुधेश'

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