Book Title: Bhamashah
Author(s): Dhanyakumar Jain
Publisher: Jain Pustak Bhavan

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Page 11
________________ समर्पण भामाशाह से नररत्नों की श्रद्धा का केन्द्र विन्दु स्वतन्त्रता धन्य है, जिन्होंने स्वतन्त्रता यज्ञ में सर्वस्व की आहुति दी, वे भामाशाह से नररत्न भी धन्य हैं, मैं इस स्वतन्त्रता और ऐसे स्वतन्त्रताप्रेमियों को अपना यह ग्रन्थ समर्पित कर अपने आप को धन्य मानता हूं । -'सुधेश'

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