Book Title: Bhamashah Author(s): Dhanyakumar Jain Publisher: Jain Pustak Bhavan View full book textPage 7
________________ 'भामाशाह' पर प्राप्त सन्देश श्री १०५ क्षुल्लक गणेशप्रसादजी वर्णी (प्रसिद्ध आध्यात्मिक जैन सन्त) आपके कार्यों से प्रसन्नता है । संसार में वही मनुष्य शांति का पात्र हो सकता है जो त्याग से कार्य करे । काम सर्व करो, उसमें तात्पर्य लौकिक प्रशंसा तक न रहे । जनता आपकी कृति से लाभ । उठावे । कोडरमा, - गणेश वर्णी श्री माननीय मिश्रीलाल गंगवाल ( मुख्य मंत्री मध्य-भारत ) मुझे यह जानकर प्रसन्नता है कि आप 'भामाशाह' नाटक को सम्पूर्ण कर चुके हैं और वह शीघ्र ही प्रकाशित किया जाने वाला है, ने स्वामी भक्त और देश प्रेम का जो अमर उदाहरण प्रस्तुत किया है वह भारतीय इतिहास का एक अत्यन्त उज्ज्वल तथा गौरवपूर्ण पृष्ठ है । आशा है आपके द्वारा लिखे गये नाटक से सर्व भामाशाह साधारण जनता इस महान भारतीय के जीवन तथा कार्यों से परिचित हो सकेगी । मैं आपके इस शुभ प्रयास की सफलता चाहता हूं । 1 ग्वालियर, - मिश्रीलाल गंगवालPage Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 ... 196