Book Title: Bhamashah
Author(s): Dhanyakumar Jain
Publisher: Jain Pustak Bhavan

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Page 5
________________ अभिलाषा तरुण नाट्यकार श्री धन्यकुमार जैन 'सुधेश' की नवीनतम कृति 'भामाशाह' पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। हिन्दी साहित्यमें ऐसे प्रभावोत्पादक रचना की आवश्यकता बहुत दिनों से अनुभूत हो रही थी। आवश्यकता की पूर्ति क्रमशः होने जा रही है देख कर मुझे अत्यधिक सन्तोष हो रहा है। नाट्यकारने विषय तो अच्छा चुना ही है, साथ ही रचनाभंगी भी सराहनीय है। 'मंथन' शीर्षक अध्यायसे यह प्रमाणित होता है कि 'सुधेश' जी ने शोध-कार्य में अत्यधिक परिश्रम किया है। वे धन्यवादाह हैं ।उदीयमान शिल्पी की उत्तरोत्तर श्री-वृद्धि की कामना करते हुए यह अभिलाषा करते हैं कि हिन्दी-साहित्य-भंडार में ऐसे ही रत्नों का अधिकाधिक संचय हो । 'सुधेश' जी से ऐसी ही अन्य कृति की प्रतीक्षा है। -डा० कालिदास नाग

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